प्रशांत किशोर ने बिहार में बदलाव रैली में तेजस्वी यादव पर साधा निशाना
बिहार के भोजपुर में बदलाव रैली में प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव की राजनीतिक पहचान पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी पहचान केवल उनके पिता लालू यादव के कारण है। किशोर ने बिहार की जनता से अपील की कि वे शिक्षा और रोजगार के लिए नई व्यवस्था लाने का संकल्प लें। उन्होंने यह भी बताया कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की लोकप्रियता में कमी आई है। इस रैली में किशोर ने बिहार की जनता को जागरूक होने का संदेश दिया और कहा कि यह उनकी या जन सुराज की जीत नहीं, बल्कि जनता की जीत होगी।
Jun 27, 2025, 20:08 IST
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बिहार में बदलाव की अपील
बिहार के भोजपुर में आयोजित बदलाव रैली में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका एकमात्र उद्देश्य है कि बिहार की जनता इस बार पहले स्थान पर आएगी, जबकि लालू यादव, नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी सभी पीछे रह जाएंगे। यह प्रशांत किशोर या जन सुराज की जीत नहीं होगी, बल्कि यह जनता की जीत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग भ्रष्टाचार और नेताओं की लूट के कारण पिछले 30-35 वर्षों से गरीबी में जी रहे हैं, उनके बच्चे अनपढ़ रह गए हैं और मजदूर बन गए हैं, अब वे जाग चुके हैं। सभी ने तय कर लिया है कि बिहार में शिक्षा और रोजगार के लिए एक नई व्यवस्था लानी होगी।
चुनाव से पहले तेजस्वी यादव की आलोचना
प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव की राजनीतिक साख पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह अपने पिता लालू प्रसाद यादव की बदौलत इस पद पर हैं। एक विशेष साक्षात्कार में किशोर ने कहा कि तेजस्वी के पास स्वतंत्र राजनीतिक पहचान और विश्वसनीयता की कमी है। उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी की पहचान केवल उनके पिता के नाम से है।
किशोर ने तेजस्वी पर कटाक्ष करते हुए कहा, "तेजस्वी यादव लालू यादव के बेटे हैं। उनकी पहचान केवल लालू यादव के कारण है। अगर लालू का नाम नहीं होता, तो तेजस्वी की पहचान क्या होती?" उन्होंने यह भी बताया कि यादव समाज में कई युवा नेता हैं जो तेजस्वी से अधिक सक्षम हैं।
आरजेडी की घटती लोकप्रियता
किशोर ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव को युवा नेता मानने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि यादव समाज में उनसे अधिक युवा नेता मौजूद हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि तेजस्वी की वर्तमान स्थिति उनके वंश के कारण है, न कि उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों के कारण। इसके अलावा, उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की लोकप्रियता में कमी की ओर भी इशारा किया, यह बताते हुए कि लालू ने 1995 में केवल एक बार अपने दम पर चुनाव जीता था और उसके बाद से उनके सांसदों की संख्या में लगातार गिरावट आई है।