प्रधानमंत्री मोदी ने 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने इस गीत की ऐतिहासिक महत्ता, बंगाल के विभाजन और इसके साथ हुए अन्याय पर चर्चा की। मोदी ने बताया कि कैसे 'वंदे मातरम्' ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसे रोकने के लिए अंग्रेजों ने कठोर कानून बनाए। इस भाषण में उन्होंने गीत की प्रेरणादायक शक्ति और उसके पीछे की भावना को भी उजागर किया।
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प्रधानमंत्री मोदी ने 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर कहा कि यह गीत 1905 में महात्मा गांधी के लिए राष्ट्रगान के रूप में महत्वपूर्ण था। उन्होंने बताया कि 'वंदे मातरम्' की भावना इतनी गहरी थी कि पिछले सदी में इसके साथ अन्याय क्यों हुआ। उन्होंने सवाल उठाया कि इस पवित्र गीत के साथ विश्वासघात क्यों किया गया और कौन सी शक्तियाँ थीं जिन्होंने इसे विवादों में घसीटा।


वंदे मातरम् की ऐतिहासिक महत्ता

मोदी ने आगे कहा, "हमें गर्व होना चाहिए कि ऐसा कोई काव्य नहीं है जो सदियों तक लोगों को प्रेरित करता हो।" उन्होंने बताया कि गुलामी के समय में भी ऐसे लोग थे जिन्होंने इस प्रकार के भावगीत की रचना की। यह विश्व के लिए एक अद्भुत बात है।


बंगाल का विभाजन और वंदे मातरम्

प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल का विभाजन हुआ, लेकिन इसके साथ एक बड़ा स्वदेशी आंदोलन भी हुआ। 'वंदे मातरम्' हर जगह गूंज रहा था, और अंग्रेजों ने इसे रोकने के लिए कठोर कानून बनाए। इस गीत की ताकत इतनी थी कि अंग्रेजों को इसे गाने और बोलने पर भी प्रतिबंध लगाना पड़ा।


अंग्रेजों की रणनीति

मोदी ने बताया कि अंग्रेजों ने बंगाल को विभाजित करने की योजना बनाई क्योंकि उन्हें पता था कि बंगाल की एकता पूरे देश की शक्ति का केंद्र है। उन्होंने कहा कि 1905 में बंगाल का विभाजन एक पाप था, लेकिन 'वंदे मातरम्' ने उस समय भी एकता बनाए रखी।