प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा के लिए चार नामित सदस्यों की सराहना की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राज्यसभा के लिए चार व्यक्तियों को नामित किया है, जिसमें पूर्व विदेश सचिव और भाजपा नेता शामिल हैं। यह कदम केरल में भाजपा के आक्रामक रुख को दर्शाता है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में। मोदी ने इन नामित सदस्यों की सराहना की और उनके योगदान को महत्वपूर्ण बताया। इस नामांकन से भाजपा ने अपने विरोधियों को एक स्पष्ट संदेश दिया है, जिससे पार्टी का मनोबल भी बढ़ा है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा के लिए चार नामित सदस्यों की सराहना की

प्रधानमंत्री मोदी का ऐतिहासिक भाषण

लगभग नौ वर्ष पूर्व, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मंच पर खड़े होकर एक भावुक भाषण दिया था। इस दौरान, उन्होंने एक व्यक्ति को बुलाकर उनका हाथ थाम लिया, जिनके दोनों पैर कुछ गुंडों द्वारा काट दिए गए थे। पीएम मोदी ने सबको बताया कि यह व्यक्ति किस प्रकार अपनी कठिनाइयों के बावजूद आगे बढ़ रहा है। अब, वही व्यक्ति राज्यसभा के लिए नामित किया गया है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत चार व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया है।


राज्यसभा के लिए नामित सदस्य

राष्ट्रपति द्वारा नामित सदस्यों में पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम, भाजपा नेता सी सदानंदन मास्टर और इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इन चारों को बधाई दी और उनके योगदान की सराहना की। अनुच्छेद 80 के अनुसार, राष्ट्रपति 12 प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नामित कर सकते हैं। इस बार चार सीटें खाली थीं, जिन्हें भरने के लिए ये नामांकन किए गए हैं।


भाजपा का कड़ा संदेश

कन्नूर में राजनीतिक झगड़े में अपने दोनों पैर खोने वाले वरिष्ठ आरएसएस नेता सी सदानंदन को राज्यसभा में नामित करके भाजपा ने केरल में अपने विरोधियों को एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह कदम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा तिरुवनंतपुरम में की गई घोषणा के बाद आया है कि भाजपा 2026 में राज्य में सरकार बनाएगी। इस घोषणा ने सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ को चौंका दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने पार्टी के आक्रामक रुख को स्पष्ट किया है।


भाजपा का राजनीतिक ध्रुवीकरण

भाजपा का संदेश स्पष्ट है। पार्टी खुद को केरल में असली विपक्ष के रूप में प्रस्तुत करेगी और दावा करेगी कि केवल वही सीपीएम के रथ को रोकने का साहस रखती है। पार्टी का मानना है कि यह आक्रामक रुख राज्य में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देगा। सदानंदन के नामांकन से आरएसएस कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ा है, जिन्हें सीपीएम के गढ़ों में संगठन खड़ा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।