प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल ने लिए ऐतिहासिक निर्णय, भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को मिलेगी मजबूती
केंद्रीय मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण निर्णय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इनमें सबसे प्रमुख है 7,280 करोड़ रुपये की Rare Earth Permanent Magnets (REPM) योजना को मंजूरी, जिसके तहत देश में पहली बार 6,000 MTPA क्षमता वाले एकीकृत रेयर अर्थ मैग्नेट उत्पादन संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही, महाराष्ट्र और गुजरात में दो रेलवे मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं (कुल 224 किमी) को स्वीकृति दी गई है, जो माल और यात्री दोनों के लिए रणनीतिक कनेक्टिविटी को बढ़ाएंगी। इसके अलावा, पुणे मेट्रो फेज-2 की लाइन 4 और 4A (31.6 किमी, 9,857 करोड़ रुपये लागत) को भी हरी झंडी मिली है, जिससे तेजी से विकसित हो रहे पुणे महानगर में टिकाऊ और हरित शहरी परिवहन का नया ढांचा तैयार होगा। इन निर्णयों का साझा महत्व यह है कि ये भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता, लॉजिस्टिक क्षमता, ऊर्जा परिवर्तन और भविष्य की अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हैं।
भारत की रणनीतिक दिशा में मील का पत्थर
केंद्रीय मंत्रिमंडल के आज के निर्णय केवल सामान्य प्रशासनिक स्वीकृतियाँ नहीं हैं, बल्कि ये भारत की 21वीं सदी की रणनीतिक दिशा को परिभाषित करने वाले मील के पत्थर हैं। रेयर अर्थ मैग्नेट निर्माण, रेलवे नेटवर्क विस्तार और पुणे मेट्रो का विस्तार, ये तीनों निर्णय अपनी-अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनका संयुक्त संदेश यह है कि भारत अब केवल उपभोक्ता अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक उत्पादन, प्रौद्योगिकी और लॉजिस्टिक्स का एक उभरता हुआ महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है।
REPM योजना का महत्व
रेयर अर्थ मैग्नेट मुद्दे पर सरकार का निर्णय तकनीकी संप्रभुता की दिशा में एक निर्णायक कदम है। बैटरियों, इलेक्ट्रिक मोटर्स, मिसाइल गाइडेंस सिस्टम, रडार, विंड टर्बाइनों आदि में Rare Earth Permanent Magnets की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दशकों से भारत इस क्षेत्र में लगभग पूर्ण आयात-निर्भरता की स्थिति में रहा है, जबकि चीन इस बाजार का 90% से अधिक हिस्सा नियंत्रित करता है। ऐसे में 7,280 करोड़ रुपये की REPM योजना का संदेश स्पष्ट है कि भारत अब तकनीकी सप्लाई-चेन का मोहरा नहीं, बल्कि एक सक्रिय खिलाड़ी बनना चाहता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से REPM योजना
इस योजना की सबसे बड़ी ताकत इसकी वैल्यू-चेन अप्रोच है। ऑक्साइड से लेकर धातु, धातु से मिश्रधातु और अंततः तैयार मैग्नेट तक, पूरी कड़ी भारत में बनेगी। यह केवल उत्पादन क्षमता नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजिकल डीप कैपेबिलिटी का निर्माण है। 2030 तक REPM की घरेलू मांग दोगुनी होने की संभावना है; ऐसे में यह कदम न केवल आत्मनिर्भरता बल्कि निर्यात-क्षमता की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। Net-Zero 2070 और EV क्रांति के लिए यह एक रणनीतिक आवश्यकता भी है।
सुरक्षा और लॉजिस्टिक में सुधार
इस फैसले का सामरिक महत्व रक्षा एवं अंतरिक्ष उद्योग में भी दिखाई देगा। भारत अपने एयरोस्पेस प्लेटफॉर्म, क्वांटम सेंसर, हाइपरसोनिक प्लेटफॉर्म और उन्नत हथियार प्रणालियों के लिए अब वैश्विक बाजार पर निर्भरता को कम कर सकेगा। यह सुरक्षा संप्रभुता का प्रश्न है और भारत इसे गंभीरता से सुलझाने की दिशा में बढ़ रहा है।
रेलवे मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना
रेलवे मल्टी-ट्रैकिंग संबंधी निर्णय लॉजिस्टिक बैकबोन का अपग्रेड है। महाराष्ट्र और गुजरात में 224 किमी नेटवर्क विस्तार भले ही कागज़ पर छोटा दिखे, लेकिन यह भारत की आर्थिक धड़कन, पश्चिमी कॉरिडोर के लिए निर्णायक है। मुंबई महानगर क्षेत्र से लेकर सौराष्ट्र के तटीय पट्टी तक, यह क्षेत्र निर्यात, पेट्रोलियम, कंटेनर, कोयला और कृषि वस्तुओं का प्रमुख ट्रांजिट रूट है। नई लाइनों का अर्थ है- माल ढुलाई की क्षमता में तेजी से वृद्धि, भीड़भाड़ में कमी, और CO₂ उत्सर्जन में भारी कमी।
पुणे मेट्रो फेज-2 का महत्व
पुणे मेट्रो फेज-2 को मंजूरी भविष्य के शहरी भारत का खाका है। पुणे भारत का नया ज्ञान-केंद्र है— IT, R&D, ऑटो-इंजीनियरिंग, स्टार्टअप्स और उच्च शिक्षा का संगम। लेकिन ट्रैफिक बोझ ने इस शहर को लगभग घुटनों पर ला दिया है। लाइन 4 और 4A सिर्फ मेट्रो लाइनें नहीं, बल्कि शहरी उत्पादकता को बचाने की आपात आवश्यकता हैं। यह निवेश शहर की आर्थिक रफ्तार को स्थिर रखेगा और अनियोजित विस्तार की समस्या का समाधान करेगा।
Viksit Bharat 2047 की दिशा में कदम
मोदी मंत्रिमंडल के आज के निर्णय Viksit Bharat 2047 की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। आज का दिन तीन नीतिगत निर्णयों का नहीं, बल्कि भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक सोच की पुनर्पुष्टि का दिन है। REPM से भारत भविष्य की टेक्नोलॉजी युद्धभूमि में अपनी जगह बनाएगा। रेलवे परियोजनाएँ भारत को एक तेज, सस्ती और पर्यावरण-अनुकूल अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएँगी। पुणे मेट्रो 21वीं सदी के शहरी भारत का आधुनिक चेहरा तय करेगी। ये फैसले दर्शाते हैं कि भारत अब प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि प्रोएक्टिव दृष्टिकोण से राष्ट्र-निर्माण की राह पर है।
