प्रधानमंत्री मोदी की लंदन यात्रा: भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंदन यात्रा में भारत और ब्रिटेन के बीच एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं। यह समझौता दोनों देशों के लिए आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। ब्रिटेन के लिए यह ब्रेक्जिट के बाद का सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक समझौता है, जबकि भारत के लिए यह एशिया से बाहर का पहला बड़ा मुक्त व्यापार करार है। मोदी की यह यात्रा व्यापार, रक्षा, तकनीकी सहयोग और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण है। समझौते से भारतीय निर्यात को लाभ होगा और ब्रिटिश कंपनियों को भारत के सार्वजनिक खरीद बाजार में प्रवेश मिलेगा।
Jul 23, 2025, 15:05 IST
|

प्रधानमंत्री मोदी की लंदन यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज लंदन के लिए रवाना हो गए हैं, जहां भारत और ब्रिटेन के बीच एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement - FTA) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह समझौता दोनों देशों के लिए आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर जब वैश्विक व्यापार अमेरिका के संरक्षणवादी रुख के कारण अस्थिरता का सामना कर रहा है।
ब्रेक्जिट के बाद वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को पुनः स्थापित करने की कोशिश कर रहे ब्रिटेन के लिए यह समझौता एक महत्वपूर्ण आर्थिक उपलब्धि है। वहीं, भारत के लिए यह एशिया से बाहर का पहला बड़ा मुक्त व्यापार करार है, जो उसकी वैश्विक आर्थिक भागीदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मोदी की ब्रिटेन की चौथी यात्रा है, जिसमें वे अपने समकक्ष कीर स्टारमर के साथ व्यापार, रक्षा, तकनीकी सहयोग और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही, मोदी किंग चार्ल्स से भी शिष्टाचार भेंट करेंगे।
भारत ने समझौता वार्ताओं के दौरान कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर कठोर रुख अपनाया है। माना जा रहा है कि कामकाजी वीज़ा, पेशेवर योग्यताओं की मान्यता और यूके में अस्थायी रूप से काम कर रहे भारतीयों के लिए राष्ट्रीय बीमा योगदान से छूट जैसे मुद्दों पर रियायतें प्राप्त की गई हैं।
इस प्रस्तावित समझौते से भारतीय निर्यात को लाभ होगा। इसके तहत भारत के 99% निर्यात— जैसे रत्न, वस्त्र, इंजीनियरिंग उत्पाद, चमड़ा, परिधान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ पर अब शून्य शुल्क लगेगा। वहीं, ब्रिटिश निर्यात पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि यूके को भारत के 90% निर्यात पर चरणबद्ध शुल्क कटौती का लाभ मिलेगा। स्कॉच व्हिस्की पर शुल्क तुरंत 150% से घटाकर 75% किया जाएगा, जो अगले 10 वर्षों में घटकर 40% तक आ जाएगा। इसके अलावा, मेडिकल डिवाइसेज, फार्मास्यूटिकल्स, एयरक्राफ्ट पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स पर भी शुल्क में छूट दी जाएगी। ब्रिटिश कारों पर वर्तमान में 100% से अधिक शुल्क है, जिसे अब एक कोटा व्यवस्था के अंतर्गत 10% तक घटाया जाएगा।
मोदी सरकार को उम्मीद है कि यह समझौता ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को नई गति देगा और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को पुनर्जीवित करेगा, जो हाल के वर्षों में धीमा पड़ा है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत के 50 लाख से अधिक निर्यात-आधारित रोजगार इस समझौते से जुड़े हो सकते हैं। हालांकि, भारत ने कृषि क्षेत्र को इस समझौते से बाहर रखा है, जो देश की 40% से अधिक कार्यबल को रोजगार देता है। यह एक रणनीतिक निर्णय है, जिसने अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं को भी रोक रखा है।
इस समझौते के तहत पहली बार ब्रिटिश कंपनियों को भारत के सार्वजनिक खरीद बाजार में प्रवेश मिलेगा, जो स्वच्छ ऊर्जा, परिवहन और अधोसंरचना क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकता है। हालांकि, वित्तीय और कानूनी सेवाओं को इस समझौते में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि द्विपक्षीय निवेश संधि पर वार्ता अब तक अधूरी है।
यह मुक्त व्यापार समझौता भारत के परंपरागत संरक्षणवादी दृष्टिकोण में एक बड़ा परिवर्तन दर्शाता है। हालांकि इसकी पूर्ण रूपरेखा और प्रभाव का मूल्यांकन अंतिम दस्तावेज के सामने आने के बाद ही हो सकेगा, फिर भी यह स्पष्ट है कि भारत और ब्रिटेन अब एक दीर्घकालिक रणनीतिक और आर्थिक भागीदारी की दिशा में अग्रसर हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा केवल एक राजनयिक दौरा नहीं, बल्कि भारत-ब्रिटेन संबंधों में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखी जा रही है। मोदी का यह दौरा व्यापार के साथ-साथ रणनीतिक, भू-राजनीतिक, रक्षा और वैश्विक कूटनीतिक मायने भी रखता है। ब्रिटेन इंडो-पैसिफिक रणनीति में सक्रिय हो रहा है और भारत इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण शक्ति है। दोनों मिलकर चीन की आक्रामक नीतियों का सामूहिक संतुलन बनाना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने लंदन यात्रा पर रवाना होने से पहले कहा है कि भारत और ब्रिटेन के बीच एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, जिसमें हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि हमारा सहयोग व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, नवाचार, रक्षा, शिक्षा, अनुसंधान, सतत विकास, स्वास्थ्य और लोगों से लोगों के संबंधों सहित कई क्षेत्रों में फैला हुआ है।