प्रधानमंत्री मोदी की ओमान यात्रा: भारत-ओमान संबंधों की 70वीं वर्षगांठ का जश्न

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओमान की यात्रा के दौरान भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया और भारत-ओमान के बीच राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मनाई। इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है। इथियोपिया में हुई उनकी यात्रा ने भी भारत और इथियोपिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। जानें इस यात्रा के प्रमुख पहलू और भविष्य की संभावनाएं।
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प्रधानमंत्री मोदी की ओमान यात्रा: भारत-ओमान संबंधों की 70वीं वर्षगांठ का जश्न

प्रधानमंत्री मोदी का ओमान दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को जॉर्डन और इथियोपिया की यात्रा के बाद ओमान पहुंच गए। इस यात्रा का उद्देश्य तीन देशों के दौरे के अंतिम चरण को पूरा करना है। इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली ने मोदी को ओमान के लिए हवाई अड्डे तक ले जाकर विशेष सम्मान दिया। ओमान के लिए रवाना होने के बाद, अबी ने सोशल मीडिया पर एक संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे फिर से मिलेंगे और दोनों देशों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनयिक संबंध मजबूत रहेंगे। मोदी, सुल्तान हैथम बिन तारिक के निमंत्रण पर ओमान आए हैं। इस यात्रा के दौरान, दोनों नेता रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और वाणिज्यिक एवं आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे।


भारत-ओमान संबंधों का महत्व

ओमान की यह यात्रा भारत और ओमान के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है। यह यात्रा दिसंबर 2023 में सुल्तान हैथम बिन तारिक की भारत यात्रा के बाद हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी ओमान में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करेंगे। यह उनकी खाड़ी देश की दूसरी यात्रा है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा व्यापार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, कृषि और संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी की समीक्षा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।


इथियोपिया यात्रा का महत्व

प्रधानमंत्री मोदी की इथियोपिया यात्रा, जो पूर्वी अफ्रीकी देश की उनकी पहली यात्रा थी, द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। भारत और इथियोपिया ने अपने संबंधों को 'रणनीतिक साझेदारी' के स्तर तक ऊंचा किया। इस यात्रा के दौरान, मोदी और अबी अहमद अली के बीच कई महत्वपूर्ण चर्चाएं हुईं, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में समझौतों का आदान-प्रदान हुआ। इनमें संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के प्रशिक्षण में सहयोग, सीमा शुल्क मामलों में पारस्परिक सहायता और इथियोपिया के विदेश मंत्रालय में डेटा केंद्र की स्थापना शामिल हैं।