प्रधानमंत्री मोदी का श्रीशैलम मंदिर दौरा: शिव और शक्ति का अद्भुत संगम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में भ्रमरम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर में पूजा की। यह मंदिर शिव और शक्ति का अद्भुत संगम है, जहाँ भक्तों को दोनों के दर्शन का अवसर मिलता है। जानें इस मंदिर का धार्मिक महत्व और इसकी अनूठी विशेषताएँ, जो इसे पूरे देश में अद्वितीय बनाती हैं।
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प्रधानमंत्री मोदी का श्रीशैलम मंदिर दौरा: शिव और शक्ति का अद्भुत संगम

प्रधानमंत्री मोदी का श्रीशैलम मंदिर में दर्शन

प्रधानमंत्री मोदी का श्रीशैलम मंदिर दौरा: शिव और शक्ति का अद्भुत संगम

श्रीशैलम मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिरImage Credit source: PTI


प्रधानमंत्री मोदी का श्रीशैलम दौरा: आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में भ्रमरम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर में पूजा की और देश की प्राचीन आध्यात्मिक परंपराओं को सम्मानित किया। यह मंदिर न केवल बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, बल्कि बावन शक्तिपीठों में भी शामिल है। यहाँ भगवान शिव और माता शक्ति दोनों एक ही परिसर में विराजमान हैं, जिससे इसे आस्था का अद्भुत संगम कहा जाता है।


शिव और शक्ति का संगम स्थल

श्रीशैलम मंदिर की विशेषता यह है कि यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक 'मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग' और देवी सती के 52 शक्तिपीठों में से एक 'भ्रमरम्बा शक्तिपीठ' दोनों का स्थान है। यह मंदिर भक्तों के लिए शिव और शक्ति के दर्शन का अनूठा अवसर प्रदान करता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवी सती का गला यहीं गिरा था, जिससे यह शक्तिपीठ बना। भगवान शिव ने यहाँ मल्लिकार्जुन रूप में निवास किया।


मोक्ष का द्वार ‘दक्षिण का कैलाश’

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीशैलम मंदिर को 'दक्षिण का कैलाश' कहा जाता है। यह स्थान भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है और यहाँ के दर्शन से पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिलती है। मल्लिकार्जुन लिंगम को स्वयंभू माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला और प्राचीनता भी भक्तों को आकर्षित करती है। यह द्रविड़ शैली की स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है।


मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

श्रीशैलम मंदिर की महिमा कई पुराणों में वर्णित है। कहा जाता है कि भगवान कार्तिकेय ने यहाँ तपस्या की थी और माता पार्वती ने इसी स्थान पर भ्रमर के रूप में राक्षसों का वध किया था, इसलिए देवी का नाम भ्रमरम्बा पड़ा। मल्लिकार्जुन का अर्थ है मल्लिका यानी पार्वती और अर्जुन यानी शिव, जो इस मंदिर को शिव-पार्वती के एकत्व का प्रतीक बनाता है।