प्रधानमंत्री मोदी का जनजातीय गौरव वर्ष: 1 लाख गांवों में विकास की नई दिशा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय समुदायों के विकास के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है, जिसमें 15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025 तक जनजातीय गौरव वर्ष मनाया जाएगा। इस दौरान ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य 1 लाख गांवों को सशक्त बनाना है। इस पहल के तहत, जनजातीय समुदाय अगले 10 वर्षों में अपने विकास के लक्ष्यों का निर्धारण करेंगे। जानें इस अभियान के बारे में और कैसे यह जनजातीय नागरिकों को सशक्त बना रहा है।
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प्रधानमंत्री मोदी का जनजातीय गौरव वर्ष: 1 लाख गांवों में विकास की नई दिशा

जनजातीय समुदायों के लिए ऐतिहासिक पहल

प्रधानमंत्री मोदी का जनजातीय गौरव वर्ष: 1 लाख गांवों में विकास की नई दिशा

जनजाति समुदाय को सशक्त बनाने के लिए उठाया गया कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारत सरकार ने 15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025 तक जनजातीय गौरव वर्ष की घोषणा की है। इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदाय को सशक्त बनाना है। अगले 10 वर्षों में, ये समुदाय अपने गांवों के विकास की दिशा स्वयं निर्धारित करेंगे।

यह अभियान विश्व का सबसे बड़ा जनजातीय नेतृत्व कार्यक्रम है, जिसमें लगभग 30 राज्यों के 1 लाख गांवों और टोलों के 11.5 करोड़ से अधिक जनजातीय नागरिक शामिल होंगे। इसका औपचारिक उद्घाटन 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के धार में पीएम मोदी द्वारा किया गया।

10 वर्षों तक स्वनिर्धारित विकास

‘ट्राइबल विलेज विजन 2030’ के अंतर्गत, हर जनजातीय समुदाय अगले 10 वर्षों में अपने विकास के लक्ष्यों का निर्धारण करेगा, जो विकसित भारत 2027 के अनुरूप होगा। इस पहल के तहत, 1 लाख ‘ग्राम विजन’ और ‘आदि सेवा केंद्र’ स्थापित किए जाएंगे, जहां प्रत्येक नागरिक हर सप्ताह एक घंटे की सेवा देगा।

सामुदायिक भागीदारी से लक्ष्य निर्धारण

इस पहल की विशेषता यह है कि गांव के लोग सक्रिय रूप से शामिल हुए हैं और बैठकें तथा सर्वेक्षण के माध्यम से अपने लक्ष्यों का निर्धारण किया है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। आदि सेवा केंद्र में हर ग्रामीण अपनी इच्छा से हर सप्ताह 1 घंटे सेवा देगा। इसके अलावा, एक एआई-संचालित आदि वाणी ऐप भी विकसित किया गया है, जिससे ग्रामीण अपनी स्थानीय भाषा में सरकारी अधिकारियों से संवाद कर सकेंगे।

20 लाख लोगों को मिली ट्रेनिंग

10 जुलाई से अब तक लगभग 20 लाख अधिकारियों, SHG की महिलाओं और आदिवासी युवाओं को 7 दिन की ट्रेनिंग दी गई है। इस अभियान के तहत 1 लाख गांवों ने ट्राइबल विलेज विजन 2030 को अपनाया है। सरकार के इस प्रयास से आदिवासी नागरिकों को सशक्त बनाया गया है और वे अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम हो गए हैं।

जनता के लिए, जनता द्वारा निर्णय

केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने कहा कि जनजातीय ग्राम विजन 2030 को अपनाना भारत के जनजातीय समुदायों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यह पहल हर गांव को अपने विकास का रोडमैप तैयार करने का अधिकार देती है, और यह सुनिश्चित करती है कि सभी निर्णय जनता द्वारा, जनता के लिए लिए जाएं। उन्होंने कहा कि यह स्थानीय शासन को मजबूत करता है और भागीदारी को बढ़ावा देता है।