प्रधानमंत्री मोदी का 75वां जन्मदिन: वडनगर में विशेष आयोजन और शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन उनके गृहनगर वडनगर में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर उनके चचेरे भाइयों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और शहर में रक्तदान एवं नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया गया। मोदी के परिवार के सदस्यों ने अपने रिश्ते को भुनाने की कोशिश नहीं की है, और उन्होंने कभी भी प्रधानमंत्री से मदद नहीं मांगी। जानें, मोदी के बचपन की कुछ खास बातें और उनके दोस्तों की यादें।
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प्रधानमंत्री मोदी का 75वां जन्मदिन: वडनगर में विशेष आयोजन और शुभकामनाएं

वडनगर में जन्मदिन का जश्न

प्रधानमंत्री मोदी का 75वां जन्मदिन: वडनगर में विशेष आयोजन और शुभकामनाएं


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन उनके गृहनगर वडनगर में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर उनके चचेरे भाइयों ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं। गुजरात के मेहसाणा जिले के इस छोटे से शहर में, लोगों ने रक्तदान और नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया, साथ ही प्रसिद्ध हाटकेश्वर महादेव मंदिर में प्रार्थना और स्वच्छता अभियान भी चलाया। भाजपा की वडनगर इकाई के सदस्य भावेश पटेल ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के बड़े भाई सोमाभाई मोदी ने बुधवार सुबह नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया। सुबह साढ़े सात बजे हाटकेश्वर महादेव मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया।


परिवार की स्थिति

हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राजनीतिक करियर के लिए वडनगर छोड़ दिया था, उनके दो चचेरे भाई, भरतभाई (65) और अशोकभाई (61), अब भी यहीं रहते हैं। ये दोनों प्रधानमंत्री के पिता दामोदरदास मोदी के छोटे भाई स्वर्गीय नरसिंहदास मोदी के बेटे हैं। भरतभाई एक किराए के मकान में किराने की दुकान चलाते हैं, जबकि अशोकभाई धार्मिक सामग्री और मौसमी सामान बेचते हैं, उनकी मासिक आय लगभग 5,000 रुपये है।


रिश्ते का सम्मान

अशोकभाई ने कहा कि उन्होंने कभी भी अपने रिश्ते का लाभ उठाने की कोशिश नहीं की। उन्होंने बताया, 'मैंने कभी भी इस रिश्ते का फायदा उठाने की कोशिश नहीं की। मेरा मानना है कि हर किसी को अपनी किस्मत खुद बनानी चाहिए।' भरतभाई ने भी प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे उनके प्रयासों में उनके साथ हैं।


आर्थिक स्थिति और आत्मनिर्भरता

अशोकभाई ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी मोदी से मदद नहीं मांगी, भले ही उनकी आय सीमित हो। उन्होंने कहा, 'मैं हर महीने केवल 5,000 रुपये कमाता हूं, लेकिन मैंने कभी मोदी से किसी भी तरह की मदद मांगने के बारे में नहीं सोचा।'


बचपन की यादें

प्रधानमंत्री मोदी के बचपन के दोस्त दशरथभाई पटेल ने बताया कि मोदी ने 1969 में मुख्यमंत्री बनने का सपना देखा था। उन्होंने मोदी की साधारण शुरुआत का जिक्र करते हुए कहा कि वडनगर रेलवे स्टेशन पर उनके पिता की चाय की दुकान थी, और मोदी स्कूल के दिनों में यात्रियों को चाय बेचा करते थे।