प्रधानमंत्री मोदी और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की महत्वपूर्ण बैठक

बैठक का विवरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार, 19 अगस्त को शाम 5:30 बजे अपने आधिकारिक निवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करेंगे। इस बैठक की पुष्टि विदेश मंत्रालय ने की है। यह वांग का तीन वर्षों में भारत का पहला दौरा है, जो भारत और चीन के बीच संबंधों में संभावित सुधार का संकेत देता है।
महत्वपूर्ण वार्ता
यह बैठक भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वांग के बीच सोमवार को हुई महत्वपूर्ण वार्ता के बाद हो रही है। जयशंकर ने कहा कि दोनों देश अब 'कठिन समय' के बाद आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 'भिन्नताएँ विवाद का कारण नहीं बननी चाहिए और प्रतिस्पर्धा को संघर्ष का रूप नहीं लेना चाहिए।'
चीन की स्थिति
चीन के विदेश मंत्रालय के अनुसार, वांग ने भारत और चीन के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि वैश्विक 'एकतरफा दबाव' के बीच बहु-ध्रुवीयता को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने दोनों देशों से एक-दूसरे को 'साझेदार और संभावनाएँ' मानने का आग्रह किया, न कि 'विरोधी या खतरा'।
बैठक का महत्व
बैठक का समय भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पीएम मोदी की चीन की आगामी यात्रा से पहले हो रही है। यह मोदी का सात वर्षों में पहला दौरा होगा।
भारत-चीन संबंध
भारत और चीन के संबंध 2020 में गालवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों के बाद तनाव में रहे हैं। हालांकि, हाल के घटनाक्रम इस तनाव को कम करने के प्रयासों की ओर इशारा करते हैं। चीन ने भारत को यूरिया के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों को कम किया है, भारत ने चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा फिर से शुरू किया है, और भारतीय कंपनियाँ अब चीनी तकनीकी कंपनियों के साथ सहयोग की संभावनाएँ तलाश रही हैं।
भारत की मांगों पर सहयोग
सोमवार की बैठक में, वांग ने भारत की तीन प्रमुख मांगों, उर्वरक, दुर्लभ पृथ्वी और टनल बोरिंग मशीनों पर सहयोग का आश्वासन दिया। चीन, जो दुर्लभ पृथ्वी धातुओं का सबसे बड़ा भंडार रखता है, इस क्षेत्र में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये धातुएँ भारत के प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और बुनियादी ढाँचे के क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्थिति
वांग का भारत दौरा उस समय हो रहा है जब अमेरिका-भारत संबंध भी तनाव में हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर आयात शुल्क 50 प्रतिशत बढ़ा दिया है और रूसी तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है।
नए दिशा की ओर
ऐसे बदलते अंतरराष्ट्रीय हालात के बीच, मंगलवार की बैठक एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल साबित हो सकती है, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को नई दिशा दे सकती है।