प्रदूषण के कारण महिलाओं को आंखों पर भारी मेकअप से बचने की सलाह

बढ़ते प्रदूषण के कारण डॉक्टर महिलाओं को आंखों पर भारी मेकअप से बचने की सलाह दे रहे हैं। प्रदूषण का आंखों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे एलर्जी और सूखापन हो सकता है। जानें किन मेकअप उत्पादों से सबसे अधिक खतरा है और विशेषज्ञ क्या सलाह देते हैं। इस लेख में प्रदूषण के मौसम में मेकअप के उपयोग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
 | 
प्रदूषण के कारण महिलाओं को आंखों पर भारी मेकअप से बचने की सलाह

प्रदूषण और मेकअप का खतरा

प्रदूषण के कारण महिलाओं को आंखों पर भारी मेकअप से बचने की सलाह

मेकअप प्रोडक्ट्स से खतराImage Credit source: Getty Images and Freepik

बढ़ते प्रदूषण का स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। डॉक्टरों का कहना है कि महिलाओं को आंखों पर भारी मेकअप से बचना चाहिए। प्रदूषण का असर त्वचा पर तो पड़ता ही है, लेकिन आंखों पर भी इसका गंभीर प्रभाव हो सकता है।
काजल, मस्कारा, आईलाइनर और आईशैडो जैसे भारी मेकअप का उपयोग कम करना चाहिए।

दिल्ली आई सेंटर के प्रमुख डॉ. हरबंश लाल ने बताया कि अधिक प्रदूषण वाले क्षेत्रों में महिलाओं को भारी मेकअप से परहेज करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि आंखों के आसपास भारी मेकअप करने से प्रदूषण में मौजूद सूक्ष्म कण आंखों में जमा हो सकते हैं, जिससे एलर्जी, खुजली और सूखापन हो सकता है। यह खतरा उन महिलाओं के लिए अधिक है जो आंखों के चारों ओर भारी मेकअप करती हैं।

कौन से मेकअप प्रोडक्ट्स सबसे अधिक हानिकारक हैं?

वॉटरप्रूफ मस्कारा और आईलाइनर लंबे समय तक टिकते हैं, लेकिन इन्हें हटाने के लिए मजबूत रिमूवर की आवश्यकता होती है, जिससे आंखों की त्वचा और अधिक सूखी हो जाती है। ये उत्पाद प्रदूषण के कारण आंखों को होने वाले नुकसान को बढ़ा सकते हैं।

कॉस्मेटिक उत्पादों में ऐसे तत्व हो सकते हैं जो आंखों में सूजन पैदा कर सकते हैं। जब ये पदार्थ आंखों के संपर्क में आते हैं, तो वे आंखों की सतह को संवेदनशील बना सकते हैं, जिससे लालिमा या जलन हो सकती है। इन उत्पादों का लंबे समय तक उपयोग करने से आंखों में सूखापन या अन्य सतही नेत्र रोग होने का खतरा बढ़ सकता है।

कुछ मेकअप रिमूवर और फेशियल क्लींजर भी इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। जब इन्हें आंखों के चारों ओर रगड़ा जाता है, तो ये उन नाज़ुक ग्रंथियों को प्रभावित कर सकते हैं जो आंसू की परत के लिए तेल का उत्पादन करती हैं। इससे चिकनाई कम हो जाती है और असुविधा होती है। इन जोखिमों को कम करने के लिए, विशेषज्ञ केवल पलकों की रेखा के बाहर आईलाइनर लगाने और संवेदनशील आंखों के लिए डिज़ाइन किए गए उत्पादों का उपयोग करने की सलाह देते हैं।