पौष पूर्णिमा 2026: चंद्र दोष से मुक्ति के लिए शिवलिंग का अभिषेक कैसे करें
पौष पूर्णिमा 2026 की तिथि
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पौष पूर्णिमा का महत्व: ज्योतिष में चंद्रमा को मन और भावनाओं का प्रतीक माना जाता है। जब चंद्रमा की स्थिति कुंडली में कमजोर होती है, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, बेचैनी, अनिद्रा और निर्णय लेने में कठिनाई जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसे चंद्र दोष कहा जाता है। यदि आप भी मानसिक अशांति का अनुभव कर रहे हैं, तो पौष पूर्णिमा आपके लिए विशेष उपाय लेकर आएगी।
पौष पूर्णिमा 2026 कब है?
पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान 3 जनवरी 2026 को होगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है, लेकिन ज्योतिष में शिव उपासना का भी विशेष महत्व है।
चंद्र दोष और शिवलिंग का अभिषेक
जब कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, तो व्यक्ति को मानसिक अशांति और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया है, इसलिए उनकी पूजा से चंद्र दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
अभिषेक के लिए सामग्री: पौष पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध अर्पित करना सबसे उत्तम माना जाता है।
मानसिक शांति: कच्चा दूध चंद्रमा का प्रतीक है। इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से जातक के मन को शांति मिलती है और चंद्र दोष के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
भगवान विष्णु की कृपा: दूध को सात्विक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि पूर्णिमा पर दूध से अभिषेक करने से भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों प्रसन्न होते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
पौष पूर्णिमा पर पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान: सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
अर्ध्य दें: सूर्य देव को जल अर्पित करें और व्रत का संकल्प लें।
शिव मंदिर जाएं: तांबे या चांदी के लोटे में शुद्ध कच्चा दूध लेकर शिव मंदिर जाएं।
मंत्र जाप: ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए धीरे-धीरे शिवलिंग पर दूध की धारा अर्पित करें।
दान का महत्व: अभिषेक के बाद सफेद वस्तुओं जैसे चावल, चीनी या सफेद वस्त्र का दान करना शुभ फलदायी होता है।
