पौराणिक प्रेम कथा: इंद्र का श्राप और पुष्पवती-माल्यवान का मिलन

प्रेम की पौराणिक कहानी

पुष्पवती और गंधर्व माल्यवान की कहानी प्राचीन पौराणिक कथाओं में से एक है। यह कथा देवराज इंद्र से जुड़ी हुई है, जिसमें प्रेमियों को एक भयानक श्राप का सामना करना पड़ा।
इस कथा की शुरुआत इंद्र की सभा से होती है, जहां माल्यवान और पुष्पवती को अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए बुलाया गया था। माल्यवान गायन में माहिर थे, जबकि पुष्पवती एक नृत्यांगना थीं।
जब दोनों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, तो कामदेव की लीला ने उन्हें एक-दूसरे के प्रति आकर्षित कर दिया। इस कारण उनकी कला में बाधा आई, जिसे देखकर इंद्र ने क्रोधित होकर उन्हें पिशाच योनि में जाने का श्राप दे दिया।
श्राप के कारण, दोनों हिमालय में पिशाच बनकर रहने लगे और कई कठिनाइयों का सामना किया। एक दिन, जब उन्हें भोजन नहीं मिला, तो ठंड के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
मृत्यु के बाद, वे स्वर्ग लौट आए, जहां इंद्र ने उनसे पूछा कि कैसे वे पिशाच योनि से मुक्त हुए। उन्होंने बताया कि अनजाने में जया एकादशी का व्रत करने से उन्हें मुक्ति मिली।
भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें फिर से गंधर्व बना दिया गया। इंद्र ने कहा कि जब भगवान ने उन्हें क्षमा कर दिया है, तो वह उन्हें दंडित नहीं कर सकते। इस प्रकार, प्रेमियों को स्वर्ग में एक साथ रहने का वरदान मिला।
इस कहानी से यह संदेश मिलता है कि प्राचीन समय में लोग अपने वचनों के प्रति ईमानदार थे, और उनके श्राप सच होते थे। आजकल, लोग अपने जीवन में कई गलतियाँ करते हैं, जिससे श्राप की यह धारणा अब नहीं चलती।