पौंड्रक: भगवान श्रीकृष्ण का हमशक्ल और उसकी अद्भुत कहानी

इस लेख में हम पौंड्रक वासुदेव की कहानी पर चर्चा करेंगे, जो खुद को भगवान श्रीकृष्ण बताता था। जानें कैसे उसने अपने आपको असली कृष्ण साबित करने की कोशिश की और भगवान कृष्ण के साथ युद्ध में कैसे पराजित हुआ। यह कहानी न केवल रोचक है, बल्कि पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
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पौंड्रक: भगवान श्रीकृष्ण का हमशक्ल और उसकी अद्भुत कहानी

पौंड्रक की कहानी: भगवान के हमशक्ल

पौंड्रक: भगवान श्रीकृष्ण का हमशक्ल और उसकी अद्भुत कहानी

खुद को श्रीकृष्ण बताने वाला पौंड्रक


पौंड्रक कृष्ण की कहानी: आपने शायद किताबों और कहानियों में हमशक्लों के बारे में सुना होगा। इस विषय पर कई फिल्में और कहानियाँ भी बनी हैं। कभी-कभी, हम देखते हैं कि कुछ लोग एक-दूसरे से बेहद मिलते-जुलते होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान के भी हमशक्ल हो सकते हैं? इस लेख में हम पौंड्रक की कहानी साझा करेंगे, जो भगवान कृष्ण के समान दिखता था और खुद को श्रीकृष्ण बताता था।


श्रीकृष्ण का हमशक्ल कौन था?


पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का एक हमशक्ल था, जिसका नाम पौंड्रक था। वह खुद को असली कृष्ण मानता था क्योंकि उसके पिता का नाम भी वासुदेव था। वह लोगों से कहता था कि मैं ही श्रीकृष्ण हूं और मेरी पूजा करो। भागवत पुराण और महाभारत में पौंड्रक का उल्लेख मिलता है।


पौंड्रक वासुदेव कौन था?


पौंड्रक वासुदेव काशी के निकट पुंड्र साम्राज्य का राजा था, जिसने खुद को असली कृष्ण घोषित किया। उसकी मां श्रीकृष्ण के पिता, वासुदेव की बहन थीं और उसके पिता का नाम भी वासुदेव था। पौंड्रक को अपनी चापलूसी पसंद थी और उसने श्री कृष्ण जैसा दिखने के लिए नकली सुदर्शन चक्र, कौस्तुभ मणि और मोर पंख धारण किए। उसने भगवान कृष्ण को संदेश भेजकर उनसे मथुरा छोड़ने या युद्ध करने के लिए कहा। अंततः युद्ध में भगवान कृष्ण ने पौंड्रक और उसके सहयोगियों को पराजित किया।


पौंड्रक वासुदेव ने श्री कृष्ण को दी चुनौती


एक बार पौंड्रक ने भगवान कृष्ण को एक संदेश भेजा जिसमें कहा गया कि कृष्ण को अपना नाम और रूप छोड़ देना चाहिए, अन्यथा युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। भगवान कृष्ण ने पहले उसकी बातों को नजरअंदाज किया, लेकिन बाद में युद्ध की चुनौती स्वीकार कर ली। जब श्रीकृष्ण युद्ध के मैदान में पहुंचे, तो उन्होंने पौंड्रक के नकली रूप को देखकर हंसी उड़ाई। अंत में, दोनों के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से पौंड्रक का वध कर दिया।