पैर छूने की आध्यात्मिक प्रक्रिया: ऊर्जा का संचार और सकारात्मकता

पैर छूने की परंपरा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह न केवल विनम्रता का प्रतीक है, बल्कि एक ऊर्जा विज्ञान भी है। शास्त्रों के अनुसार, चरण स्पर्श से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो व्यक्ति की आत्मा को सात्विक बनाता है। महाभारत में अर्जुन का श्रीकृष्ण को चरण स्पर्श करना इस प्रक्रिया की गहराई को दर्शाता है। जानें इस आध्यात्मिक प्रक्रिया के पीछे का विज्ञान और इसके लाभ।
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पैर छूने की आध्यात्मिक प्रक्रिया: ऊर्जा का संचार और सकारात्मकता

पैर छूने का महत्व


पैर छूना केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह एक ऊर्जा विज्ञान भी है, जिसे हमारे प्राचीन ऋषियों ने पहले ही समझ लिया था। भारतीय संस्कृति में बड़ों के चरण स्पर्श करना एक सामान्य प्रथा है।


हालांकि, यह एक रहस्यमय और ऊर्जा देने वाली आध्यात्मिक प्रक्रिया भी मानी जाती है। इसे विनम्रता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, संस्कारों और आशीर्वाद को भी सुनिश्चित करती है। आइए जानते हैं इसके पीछे का विज्ञान।


शास्त्रों में चरण स्पर्श का महत्व

बृहत्पाराशर होरा शास्त्र और गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि जब कोई श्रद्धा से ज्ञानी या वृद्ध के चरण स्पर्श करता है, तो उसके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा व्यक्ति के चित्त को शांत करती है और उसकी आत्मा को सात्विक बनाती है।


मनुस्मृति में कहा गया है कि गुरुजन या वृद्ध का आशीर्वाद व्यक्ति के पापों को समाप्त करता है और शुभ संस्कारों को मजबूत करता है। चरण स्पर्श विनम्रता का प्रतीक है, जो अहंकार को समाप्त करता है।


जब कोई श्रद्धा से चरण स्पर्श करता है, तो उसकी मस्तिष्कीय तरंगें गुरु की ऊर्जा से टकराती हैं, जिससे चित्त की जागरूकता बढ़ती है। यह क्रिया आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है।


उपनिषदों के अनुसार, चरण स्पर्श वास्तव में आत्मा का आत्मा के समक्ष समर्पण है, जो व्यक्ति को गुरु तत्व से जोड़ता है और मोक्ष के मार्ग में प्रवेश की कुंजी है।


महाभारत में अर्जुन का चरण स्पर्श

महाभारत के भीष्मपर्व में, जब अर्जुन युद्ध न करने की इच्छा व्यक्त करते हैं, तब श्रीकृष्ण उन्हें ज्ञान देते हैं। गीता के ज्ञान के बाद, अर्जुन ‘करिष्ये वचनं तव’ कहकर पूरी श्रद्धा प्रकट करते हैं, जो चरणों में नमन का प्रतीक है।


ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, चरण स्पर्श करने से शनि, गुरु और चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है। शनि अनुशासन और विनम्रता का ग्रह है, गुरु ज्ञान का और चंद्रमा मानसिक शांति का।


इन तीनों की कृपा जीवन में संतुलन, बुद्धि और सौभाग्य लाती है। चांडोग्य उपनिषद और नारद संहिता में भी पैर छूने को सकारात्मक रहने की उत्तम प्रक्रिया से जोड़ा गया है।