पृथ्वीराज चव्हाण के बयान पर विवाद: भारतीय सेना की प्रतिष्ठा पर सवाल

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के ऑपरेशन सिंदूर पर दिए गए बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। उनके बयान को भारतीय सेना का अपमान माना जा रहा है, जबकि रक्षा विशेषज्ञ इसे एक सफल सैन्य अभियान मानते हैं। चव्हाण का कहना है कि वे माफी नहीं मांगेंगे, लेकिन कांग्रेस पार्टी को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। जानें इस पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी और ऑपरेशन सिंदूर की वास्तविकता।
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पृथ्वीराज चव्हाण के बयान पर विवाद: भारतीय सेना की प्रतिष्ठा पर सवाल

पृथ्वीराज चव्हाण का विवादास्पद बयान

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण द्वारा ऑपरेशन सिंदूर पर दिए गए बयान को न केवल तथ्यहीन माना जा रहा है, बल्कि यह भारतीय सैन्य बलों की शौर्य, बलिदान और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर भी सीधा हमला है। चव्हाण ने सवाल नहीं उठाया, बल्कि भारतीय सेना का अपमान किया है। जब कोई नेता भारतीय संविधान का हवाला देकर सवाल उठाता है, तो यह देखना आवश्यक है कि क्या ये सवाल राष्ट्रहित में हैं या फिर देश को नीचा दिखाने के लिए। चव्हाण को संविधान ने सवाल पूछने का अधिकार दिया है, लेकिन क्या ऐसे सवाल दुश्मनों को ताकत नहीं देते?


दुनिया के रक्षा विशेषज्ञों की राय

जब वैश्विक रक्षा विशेषज्ञ और सैन्य संस्थान ऑपरेशन सिंदूर को एक सफल और निर्णायक अभियान मानते हैं, तब चव्हाण का यह कहना कि 'भारत पहले दिन हार गया' बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका यह बयान या तो जानबूझकर दिया गया राष्ट्रविरोधी वक्तव्य है या फिर उनमें सैन्य समझ की कमी है। चव्हाण को यह समझना चाहिए कि यदि भारत 'पूरी तरह हार गया' था, तो पाकिस्तान को युद्धविराम के लिए फोन क्यों करना पड़ा? यदि भारतीय वायुसेना ग्राउंडेड थी, तो पाकिस्तानी एयरबेस कैसे तबाह हुए?


कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया

चव्हाण ने स्पष्ट किया है कि वे माफी नहीं मांगेंगे। उन्हें माफी मांगने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, क्योंकि उनके आपत्तिजनक बयान के लिए भारतीय जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। कांग्रेस पार्टी को चाहिए कि वह चव्हाण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, लेकिन इसकी संभावना कम है। पार्टी के कई नेता पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग चुके हैं और अब जब ऑपरेशन सिंदूर को हार बताया जा रहा है, तो पार्टी चुप्पी साधे हुए है। देशभक्त जनता आगामी चुनावों में इसका जवाब देगी।


ऑपरेशन सिंदूर की वास्तविकता

कांग्रेस के नेताओं को समझना चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत थी। यह केवल बदले की कार्रवाई नहीं, बल्कि न्याय की प्रतीक थी। पहलगाम हमले के बाद भारत ने जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, तो उसने दक्षिण एशिया की रणनीतिक तस्वीर बदल दी। यह एक नियोजित और इंटेलिजेंस आधारित अभियान था, जिसमें दुश्मन के प्रशिक्षण शिविरों और कमांड सेंटर को निशाना बनाया गया। इसका उद्देश्य बदला लेना नहीं, बल्कि न्याय स्थापित करना था।


भारतीय वायुसेना की सफलता

भारतीय वायुसेना ने राफेल और स्कैल्प जैसे अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग करते हुए केवल 23 मिनट में मिशन को पूरा किया। पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय कर दिया गया और आतंकी ढांचे को ध्वस्त किया गया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने हताशा में रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया। इसके बाद, भारत ने पाकिस्तान के रडार सिस्टम को तबाह कर दिया और ड्रोन हमलों को विफल कर दिया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व

इस पूरे घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत स्थापित किया कि भविष्य में कोई भी आतंकी हमला युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। 12 मई को उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक नाम नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की भावनाओं का प्रतीक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते।


ऑपरेशन सिंदूर की उपलब्धियाँ

कुल मिलाकर, ऑपरेशन सिंदूर की उपलब्धियाँ अभूतपूर्व रहीं। नौ बड़े आतंकी ठिकाने नष्ट किए गए, सौ से अधिक आतंकवादी मारे गए, और भारतीय सेनाओं ने अभूतपूर्व समन्वय का प्रदर्शन किया। यह केवल एक सैन्य जीत नहीं थी, बल्कि भारत के आत्मविश्वास और वैश्विक कद की घोषणा थी।