पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ की स्थिति गंभीर, केंद्रीय गृह मंत्री ने दी सहायता का आश्वासन

बाढ़ से प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य
पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है। लगातार हो रही भारी बारिश के कारण हजारों लोग प्रभावित हुए हैं, जिसके चलते केंद्र सरकार की ओर से उच्चस्तरीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता महसूस की गई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों के साथ मणिपुर के राज्यपाल से बातचीत की और संकट से निपटने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि असम, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों और मणिपुर के राज्यपाल से भारी बारिश के संदर्भ में चर्चा की। मोदी सरकार पूर्वोत्तर के लोगों के समर्थन में दृढ़ता से खड़ी है।
असम में बाढ़ का प्रभाव
अधिकारियों के अनुसार, असम के 15 से अधिक जिलों में 78,000 से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। ब्रह्मपुत्र और बराक सहित दस प्रमुख नदियाँ खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं, जिसके कारण केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने ‘ऑरेंज बुलेटिन’ जारी किया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि गृह मंत्री अमित शाह ने असम में बाढ़ की स्थिति के बारे में जानकारी लेने के लिए उन्हें फोन किया और मौजूदा संकट से निपटने के लिए हर संभव सहायता की पेशकश की।
बाढ़ और भूस्खलन से जनहानि
असम में बाढ़ और भूस्खलन के कारण अब तक आठ लोगों की जान जा चुकी है। सड़क परिवहन, ट्रेन सेवाएं और नौका संचालन भी प्रभावित हुए हैं। कामरूप जिले के चायगांव क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग-17 का एक हिस्सा जलमग्न हो गया है, जबकि ब्रह्मपुत्र के उफान के कारण जोरहाट और माजुली के बीच नौका सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। सीडब्ल्यूसी ने बताया कि कई नदियाँ खतरे के स्तर को पार कर गई हैं, जिनमें धलेश्वरी (हैलाकांडी), रुकनी (कछार), काटाखल (हैलाकांडी), बराक (श्रीभूमि), बुरीदेहिंग (तिनसुकिया), कुशियारा (श्रीभूमि), धनसिरी (गोलाघाट), और कोपिली (नागांव) शामिल हैं।