पुनर्नवा: कैंसर के मरीजों के लिए आयुर्वेद का चमत्कार
पुनर्नवा का परिचय
नमस्कार दोस्तों, आपका स्वागत है। आज हम एक ऐसी औषधि के बारे में चर्चा करेंगे जो शरीर के अंगों को नया जीवन प्रदान कर सकती है। इसे आयुर्वेद में कैंसर के मरीजों के लिए संजीवनी माना जाता है, और इसका नाम है पुनर्नवा।
पुनर्नवा के गुण
पुनर्नवा संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है: 'पुनः' जिसका अर्थ है 'फिर' और 'नव' जिसका अर्थ है 'नया'। यह औषधि अपने नाम के अनुरूप शरीर को फिर से नया करने के गुणों से भरपूर है। इसे विभिन्न रोगों से लड़ने और कैंसर के उपचार में उपयोग किया जाता है।
पुनर्नवा का सेवन
इसकी एक चम्मच मात्रा को भोजन में मिलाकर लेने से बुढ़ापे के लक्षण कम होते हैं। यह शरीर के अंगों में नई कोशिकाओं का निर्माण करता है। इसे 'शरीर पुनर्नवं करोति इति पुनर्नवा' कहा जाता है, जो रक्तवर्धक और रसायन गुणों से युक्त है।
पुनर्नवा के अन्य नाम
हिंदी में इसे साटी, साँठ, गदहपुरना, और गुजराती में साटोड़ी कहा जाता है। यह औषधि मूँग या चने की दाल के साथ सब्जी बनाकर सेवन करने पर शरीर की सूजन, मूत्र रोग, हृदयरोग, और अन्य बीमारियों में लाभकारी होती है।
पुनर्नवा का रसायन कार्य
पुनर्नवा शरीर में संचित मलों को बाहर निकालकर पोषण का मार्ग खोलता है। यह हृदय, नाभि, और रक्तवाहिनियों को शुद्ध करता है, जिससे मधुमेह, हृदयरोग, और उच्च रक्तदाब जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।
बाल रोगों में पुनर्नवा का उपयोग
पुनर्नवा के पत्तों का रस बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे मिश्री और पिप्पली के साथ मिलाकर चाशनी बना कर दिया जाता है, जो खाँसी, जुकाम, और अन्य बाल रोगों में लाभकारी है।
पुनर्नवा के फायदे
पुनर्नवा रक्तशोधन में सहायक है और जोड़ों के दर्द, पेट की समस्याओं, और चर्मरोगों में भी उपयोगी है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
पुनर्नवा का कैंसर में महत्व
यह औषधि कैंसर के मरीजों के लिए अद्भुत है क्योंकि यह नई कोशिकाओं का निर्माण करती है, जो कैंसर से लड़ने में मदद करती हैं।
