पुतिन की भारत यात्रा: रणनीतिक गहराई और उनकी कोर टीम का रहस्य

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया भारत यात्रा ने उनके और भारत के बीच के रणनीतिक संबंधों को उजागर किया है। इस यात्रा के दौरान, पुतिन की कोर टीम, जिसे 'आयरन सर्किल' कहा जाता है, की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। जानें कि कैसे यह टीम पुतिन की नीतियों और निर्णयों को प्रभावित करती है, और क्यों पुतिन तक पहुँच पाना इतना कठिन है। इस लेख में हम पुतिन की कोर टीम के प्रमुख सदस्यों और उनके प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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पुतिन की भारत यात्रा: रणनीतिक गहराई और उनकी कोर टीम का रहस्य

पुतिन की भारत यात्रा और उनकी कोर टीम

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया यात्रा भारत में यह दर्शाती है कि अंतरराष्ट्रीय तनाव, पश्चिमी दबाव और यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंधों में एक विशेष रणनीतिक गहराई मौजूद है। पुतिन की यह यात्रा उनके करीबी सहयोगियों की टीम, जिसे अक्सर “आयरन सर्किल” कहा जाता है, के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। यह टीम विश्व के अन्य नेताओं की तुलना में अधिक गोपनीय, प्रभावशाली और वफादार मानी जाती है।


पुतिन की सत्ता में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके विश्वासपात्रों के अलावा कोई अन्य व्यक्ति उनके करीब नहीं पहुँच सकता। राष्ट्रपति के साथ बैठकों की व्यवस्था, उनकी सुरक्षा और उनके करीबी सहयोगियों की संख्या इतनी सीमित है कि नए लोगों का उनके दायरे में आना लगभग असंभव है। यह सब उनके कोर टीम की वजह से है, जिस पर पुतिन ने दो दशकों से अधिक समय से भरोसा किया है और इसी टीम के साथ उन्होंने अपनी सत्ता की संरचना बनाई है।


इस टीम के प्रमुख सदस्यों में निकोलाई पत्रुशेव का नाम सबसे पहले आता है। वह पुतिन के रणनीतिकार और विश्वासपात्र हैं, जो पुतिन के इशारों को समझते हैं। पत्रुशेव रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव हैं, जो प्रधानमंत्री से भी अधिक महत्वपूर्ण पद है। उनकी पहचान एक कट्टर राष्ट्रवादी और प्रभावशाली रणनीतिकार के रूप में होती है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि पुतिन रूस का “चेहरा” हैं, तो पत्रुशेव उसका “मस्तिष्क” हैं।


इगोर सेचिन, जिन्हें ‘डार्क फिक्सर’ कहा जाता है, रूस की ऊर्जा राजनीति के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में से एक हैं। वह पुतिन के सबसे पुराने सहयोगियों में से हैं और उनकी वफादारी ऐसी है कि पुतिन उनके बिना किसी भी ऊर्जा समझौते की कल्पना नहीं कर सकते।


दिमित्री मेदवेदेव, जो एक समय रूस के राष्ट्रपति रह चुके हैं, अब सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष हैं। उन्हें पुतिन का राजनीतिक ‘स्टेबलाइज़र’ माना जाता है। सर्गेई शोइगू, जो रक्षा मंत्री हैं, पुतिन के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जिनकी भूमिका यूक्रेन युद्ध और अन्य सैन्य अभियानों में निर्णायक रही है।


अलेक्ज़ेंडर बोर्तनिकोव, एफएसबी के प्रमुख, पुतिन के सुरक्षा प्रहरी हैं। उनके अधीन रूस का आंतरिक सुरक्षा ढांचा संचालित होता है। सर्गेई लावरोव, विदेश मंत्री, पुतिन के कूटनीतिक चेहरे हैं, जबकि अंतोन वैनो, राष्ट्रपति कार्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ, पुतिन की प्रशासनिक पहुँच को नियंत्रित करते हैं।


पुतिन की टीम में अन्य महत्वपूर्ण सदस्य जैसे नारीशकिन, इवानोव और मत्वियेंको भी शामिल हैं। यह सभी पुतिन की आंतरिक शक्ति संरचना का हिस्सा हैं, जिसे उन्होंने अपने तरीके से चुना और विकसित किया है।


पुतिन तक पहुँचने में कठिनाई का मुख्य कारण उनकी सुरक्षा व्यवस्था है, जो अत्यधिक गोपनीय और वफादार है। रूस के सत्ता गलियारों में एक कहावत है— “पुतिन की टीम में शामिल होना संभव है, लेकिन पुतिन तक पहुँचना नहीं।”


भारत यात्रा के दौरान भी, पुतिन की कोर टीम उनकी हर नीति और संवाद का संचालन करती है। विश्व राजनीति में पुतिन एक पहेली की तरह हैं, और उनकी कोर टीम उस पहेली की सबसे गुप्त परत है।