पुणे में पोर्श कार दुर्घटना: किशोर पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की मांग खारिज
पुणे में एक पोर्श कार दुर्घटना के मामले में, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग के खिलाफ वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की पुलिस की मांग को खारिज कर दिया। यह मामला तब सामने आया जब 17 वर्षीय किशोर ने शराब के नशे में दो इंजीनियरों को टक्कर मारी, जिससे उनकी मौत हो गई। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और न्याय बोर्ड के निर्णय के पीछे के कारण।
Jul 15, 2025, 13:50 IST
|

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का निर्णय
पुणे में पोर्श कार दुर्घटना के मामले में, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग के खिलाफ वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की पुलिस की मांग को अस्वीकार कर दिया है। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि 17 वर्षीय आरोपी, जिसने नशे में धुत होकर इलेक्ट्रिक सुपरकार से एक बाइक को टक्कर मारी थी, पर किशोर के रूप में ही मुकदमा चलेगा। यह निर्णय पुणे पुलिस द्वारा दायर याचिका के बाद आया, जिसमें वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने की मांग की गई थी, जिसे बोर्ड ने खारिज कर दिया।
दुर्घटना का विवरण
क्या है पूरा मामला
19 मई 2024 की रात को पुणे के कोरेगांव पार्क क्षेत्र में एक तेज रफ्तार पोर्श कार ने दो इंजीनियरों, अश्विनी कोस्टा और अनीश अवधिया, को टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में दोनों की मौके पर ही मृत्यु हो गई। कार चला रहा व्यक्ति उस समय 17 साल और 8 महीने का नाबालिग था और शराब के नशे में था।
पुलिस की मांग
वयस्क की तरह ट्रायल की मांग
पुणे पुलिस ने पिछले वर्ष आरोपी के खिलाफ वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की मांग की थी, यह कहते हुए कि उसने एक "जघन्य" अपराध किया है। पुलिस का तर्क था कि न केवल दो लोगों की जान गई, बल्कि सबूतों के साथ भी छेड़छाड़ की गई। हालांकि, किशोर न्याय बोर्ड ने इस मांग को खारिज कर दिया।
ज़मानत और विवाद
दुर्घटना के कुछ घंटों बाद आरोपी को ज़मानत मिल गई थी
दुर्घटना के कुछ घंटों बाद ही आरोपी किशोर को ज़मानत मिल गई थी। ज़मानत की शर्तों में उसे सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया गया था, जिसने देशभर में विवाद खड़ा कर दिया। इसके बाद, उसे तीन दिन बाद पुणे के एक सुधार गृह में भेजा गया। 25 जून 2024 को, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने उसे तुरंत रिहा करने का आदेश दिया, यह कहते हुए कि किशोर न्याय बोर्ड का आदेश अवैध था और किशोरों से संबंधित कानून का पालन होना चाहिए।