पुणे महानगरपालिका चुनाव: पवार परिवार में सीट बंटवारे से महाविकास अघाड़ी में फूट

पुणे महानगरपालिका चुनाव में पवार परिवार के बीच सीट बंटवारे से महाविकास अघाड़ी में फूट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ठाकरे बंधुओं के एकजुट होने के बाद, अजीत पवार और शरद पवार के बीच सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है। कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है, जिससे राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। जानें इस गठबंधन के पीछे की रणनीतियाँ और संभावित परिणाम।
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पुणे महानगरपालिका चुनाव: पवार परिवार में सीट बंटवारे से महाविकास अघाड़ी में फूट

महाविकास अघाड़ी में राजनीतिक हलचल

पुणे महानगरपालिका चुनाव: पवार परिवार में सीट बंटवारे से महाविकास अघाड़ी में फूट

महाविकास अघाड़ी के नेता

मुंबई में ठाकरे परिवार ने एकजुटता दिखाई है, और इसकी आधिकारिक पुष्टि भी हो चुकी है। ठाकरे बंधुओं के एक साथ आने के बाद, अब सभी की निगाहें पवार परिवार पर हैं। पुणे महानगरपालिका चुनाव में दोनों पवार के एक साथ आने की चर्चा तेज हो गई है। एनसीपी के नेता इस बात की पुष्टि कर रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि अजीत पवार अपने चाचा शरद पवार को कितनी सीटें देंगे।

सूत्रों के अनुसार, अजीत पवार की पार्टी 165 सीटों में से 110 पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखती है, जबकि शरद पवार को 55 सीटें देने पर बातचीत चल रही है। 30 दिसंबर नामांकन का अंतिम दिन है, इसलिए समय की कमी और कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है।

पुणे में महाविकास अघाड़ी में बदलाव

महाविकास अघाड़ी (MVA) में पुणे को लेकर महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव देखने को मिल रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दोनों गुटों के एक साथ चुनाव लड़ने के निर्णय ने पुणे में MVA को प्रभावी रूप से विभाजित कर दिया है। इस अप्रत्याशित गठबंधन ने स्थानीय राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया है।

इस नई स्थिति में, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने मिलकर पुणे महानगरपालिका चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने औपचारिक रूप से उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) को गठबंधन का प्रस्ताव भेजा है। सीमित समय को देखते हुए, दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि पुणे के 41 वार्डों और 165 कॉर्पोरेटर सीटों का बंटवारा तय किया जाएगा।

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शरद पवार की एनसीपी से बातचीत जारी

पुणे महानगरपालिका में कुल 165 सीटें हैं, जिनमें 40 वार्डों से 4-4 और एक वार्ड से 5 कॉर्पोरेटर चुने जाते हैं। अजीत पवार के पार्टी के नेता सूरज चव्हाण और विधायक सना मालिक ने कहा कि पुणे में शरद पवार की एनसीपी से बातचीत चल रही है, लेकिन अंतिम निर्णय आलाकमान द्वारा लिया जाएगा।

एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने स्पष्ट किया है कि उनका गठबंधन भाजपा के साथ है और इसमें एनसीपी अजीत पवार शामिल नहीं है। पुणे में यदि दोनों पवार एक साथ आ रहे हैं, तो यह उनका व्यक्तिगत मामला है। भाजपा का कहना है कि नवाब मालिक के कारण अजीत पवार से दूरी बनाई गई है।

शायना एनसी का बयान

कांग्रेस नेता नसीम खान ने कहा कि शरद पवार की पार्टी से बातचीत चल रही है और निर्णय जल्द ही होगा। पुणे में दोनों पवार के एक साथ आने की खबर है, लेकिन अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। शायना एनसी ने भी कहा कि उनकी पार्टी 29 महानगर पालिका में भाजपा के साथ चुनाव लड़ेगी।

सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक चर्चा में सीटों का विभाजन कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच किया जाएगा, जबकि शिवसेना (यूबीटी) के कुछ सीटें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को दिए जाने की संभावना है। इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना ने मनसे के साथ गठबंधन की संभावना भी टटोली थी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और मनसे एक साथ आते हैं, तो पुणे में भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी मोर्चा बन सकता है, जिससे एंटी-बीजेपी वोटों का एकीकरण संभव है।

कांग्रेस का अजीत पवार गुट पर रुख

कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट किया है कि वे अजीत पवार गुट के साथ किसी भी प्रकार के गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि ऐसा गठबंधन कांग्रेस के दीर्घकालिक हितों के खिलाफ होगा। पार्टी 2017 के पुणे महानगरपालिका चुनाव का अनुभव नहीं दोहराना चाहती, जब कांग्रेस ने अकेले 85 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल 10 सीटें जीती थीं।

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में शरद पवार गुट की एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) समेत विभिन्न दलों के 22 पूर्व कॉर्पोरेटरों और पदाधिकारियों को पार्टी में शामिल कर लिया है। इन दलबदलुओं के कारण पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ में विपक्षी दलों को नए उम्मीदवारों की तलाश करनी पड़ रही है।

कांग्रेस नेता मोहन जोशी ने पुष्टि की कि मुंबई में हुई कांग्रेस की कोर कमेटी बैठक में पुणे महानगरपालिका चुनाव शिवसेना (यूबीटी) के साथ मिलकर लड़ने का निर्णय लिया गया है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सीट बंटवारे की बातचीत किस दिशा में जाती है और क्या पुणे में एक व्यापक विपक्षी गठबंधन आकार ले पाता है।