पुणे भूमि घोटाले में पार्थ पवार को मिली राहत, जांच में नाम नहीं

पुणे भूमि घोटाले की जांच में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को राहत मिली है, क्योंकि उनकी भूमिका को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है। उच्च-स्तरीय मुथे समिति ने पार्थ को अप्रत्यक्ष रूप से क्लीन चिट दी है, जबकि अन्य तीन व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस मामले में पार्थ पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। इसके अलावा, महाराष्ट्र में महायुति सरकार के भीतर मंत्रिमंडल की बैठक का बहिष्कार भी हुआ है, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।
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पुणे भूमि घोटाले में पार्थ पवार को मिली राहत, जांच में नाम नहीं

पार्थ पवार को मिली क्लीन चिट

पुणे भूमि घोटाले की जांच ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। उच्च-स्तरीय मुथे समिति ने अनियमितताओं की जांच के दौरान पार्थ का नाम रिपोर्ट में शामिल नहीं किया, जिससे उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से क्लीन चिट मिल गई है। हालांकि, समिति की रिपोर्ट में कुछ गंभीर खामियों की पहचान की गई है और तीन व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इनमें अमाडिया कंपनी के निदेशक दिग्विजय पाटिल, उप-पंजीयक रवींद्र तारु और शीतल तेजवानी शामिल हैं। इस स्थिति में पार्थ पवार का नाम एफआईआर या किसी अन्य रिपोर्ट में नहीं है, जिससे उन्हें आरोपों से बचाया जा रहा है।


जांच समितियों का गठन

पुणे भूमि घोटाले की जांच के लिए राज्य सरकार ने तीन समितियों का गठन किया है। मुथे समिति को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट विभागीय आयुक्त को सौंप दी है। सूत्रों के अनुसार, इस रिपोर्ट में पार्थ पवार का उल्लेख नहीं है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जमीन की रजिस्ट्री में पार्थ का नाम नहीं है, जिससे उन्हें एक तरह से क्लीन चिट मिल गई है। इस मामले में अब तक पार्थ पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, जबकि उनके ममेरे भाई दिग्विजय पाटील पर मामला दर्ज किया गया है।


कैबिनेट बैठक का बहिष्कार

महाराष्ट्र में महायुति सरकार के भीतर मंगलवार को राजनीतिक हलचल मच गई, जब सीएम देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक का शिवसेना (शिंदे) के अधिकांश मंत्रियों ने बहिष्कार किया। हालांकि, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बैठक में उपस्थित थे। सूत्रों के अनुसार, शिंदे गुट की नाराजगी का कारण उनके नेताओं और विरोधियों का भाजपा में शामिल होना बताया जा रहा है। इसके अलावा, मंत्रियों ने फंड वितरण में कथित असमानता का भी आरोप लगाया है। शिंदे गुट के मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि परिवार में झगड़े होते रहते हैं।