पुणे की महिलाओं का इंदौर दौरा: सस्टेनेबल डेवलपमेंट की नई दिशा
महिलाओं का अध्ययन भ्रमण
इंदौर, 30 अक्टूबर 2025: पुणे के प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान ज्ञान प्रबोधिनी के अंतर्गत कार्यरत 'संवादिनी महिला समूह' की 36 सदस्यों ने इंदौर और उसके आस-पास के स्वच्छता अभियानों और सतत विकास पर केंद्रित अध्ययन भ्रमण के दौरान सनावदिया में स्थित जिमी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट का दौरा किया। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. जनक पलटा मगिलिगन (जनक दीदी) के मार्गदर्शन में इस अनुभव ने महिलाओं को यह विश्वास दिलाया कि सतत विकास केवल एक सपना नहीं, बल्कि एक वास्तविकता है। इस आधे एकड़ में फैले केंद्र ने आत्मनिर्भरता और पर्यावरण जागरूकता का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।
जनक दीदी का स्वागत और प्रेरणा
दौरे की शुरुआत जनक दीदी के स्वागत से हुई, जहां उन्होंने विश्वभर से लाए गए सौर कुकर मॉडल, पवन टर्बाइनों और वर्षा जल संचयन प्रणालियों को प्रदर्शित किया। पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा से संचालित उपकरणों को देखकर महिलाएं अत्यंत प्रभावित हुईं। फूलों, फलों, अनाज और औषधीय पौधों की हरियाली ने स्वच्छ, जागरूक और कार्बन-तटस्थ जीवनशैली का अद्भुत चित्रण किया। महिलाओं ने कहा, “यह केंद्र न केवल पर्यावरण का संदेश देता है, बल्कि जीवन जीने का एक नया तरीका भी सिखाता है।”
आत्मीय संवाद और सशक्तिकरण
दिन का मुख्य आकर्षण जनक दीदी के साथ संवाद और उनकी पावरपॉइंट प्रस्तुति थी। उन्होंने उत्सर्जन-मुक्त केंद्र बनाने की अपनी यात्रा साझा की, जिसमें बरली ग्रामीण महिला विकास संस्थान की 26 वर्षों की उपलब्धियों का उल्लेख किया। यहां हजारों आदिवासी महिलाओं को शिक्षा और सशक्तिकरण का अवसर प्रदान किया गया। जनक दीदी ने कहा, “हम नहीं जानते कि कैसे मरेंगे, लेकिन जीने का मार्ग सतत विकास को चुनना है।” उनकी प्रेरणादायक कहानी ने महिलाओं को गहराई से छुआ।
भावुक समापन
दौरे के अंत में संवादिनी महिला समूह की सदस्यों ने भावुक होकर कहा, “आपसे मिलने के बाद भी आप हमारे विचारों में बनी रहीं। आपकी पर्यावरण-स्नेही जीवनशैली ने हमें प्रेरणा दी है। हम भी अपनी जिंदगी में ऐसी शैली अपनाने का संकल्प ले रहे हैं।” उन्होंने दैनिक जीवन में कपड़े की थैली, स्टील की बोतल, ग्लास और रुमाल हमेशा साथ रखने का वादा किया और अधिक से अधिक लोगों तक यह संदेश पहुंचाने का प्रयास करेंगे। एक सदस्य ने कहा, “जहां चाह वहां राह—एक स्त्री ठान ले तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। हमने यह यहां अनुभव किया।”
सस्टेनेबल डेवलपमेंट का प्रमाण
यह दौरा न केवल सतत विकास का प्रमाण बना, बल्कि महिलाओं के बीच पर्यावरण जागरूकता की नई लहर भी पैदा करने में सफल रहा। जनक दीदी के ममत्व और उत्साही स्वभाव की छाया हमेशा याद रहेगी। समूह ने आशा व्यक्त की कि ऐसी मुलाकातें बार-बार होंगी, जो समुदायों में सर्वोत्तम प्रथाओं को आगे बढ़ाएंगी।
