पी. चिदंबरम ने नए आपराधिक कानूनों पर उठाए सवाल, कहा भ्रम पैदा कर रहे हैं

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने नए आपराधिक कानूनों की आलोचना करते हुए कहा है कि ये कानून केवल भ्रम पैदा कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये कानून मुख्यतः 'कॉपी और पेस्ट' के आधार पर बनाए गए हैं। चिदंबरम ने यह भी कहा कि सरकार का दावा कि ये कानून आजादी के बाद के सबसे बड़े सुधार हैं, वास्तविकता से बहुत दूर है। जानें उनके तर्क और सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में।
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पी. चिदंबरम ने नए आपराधिक कानूनों पर उठाए सवाल, कहा भ्रम पैदा कर रहे हैं

नए आपराधिक कानूनों पर चिदंबरम की आलोचना

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को तीन नए आपराधिक कानूनों के निर्माण को निरर्थक बताते हुए कहा कि इससे न्यायपालिका, वकीलों और पुलिस के बीच केवल भ्रम उत्पन्न हुआ है।


उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ये नए कानून मुख्यतः 'कॉपी और पेस्ट' के आधार पर बनाए गए हैं, जिसमें केवल कुछ नए प्रावधान जोड़े गए हैं।


चिदंबरम की यह टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इन कानूनों को स्वतंत्र भारत में सबसे बड़ा सुधार बताने के एक दिन बाद आई है।


अमित शाह ने जोर देकर कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) जैसे नए कानून बनाए हैं, ताकि नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और अपराधियों को दंड से बचने का मौका न मिले।


सरकार पर निशाना साधते हुए चिदंबरम ने कहा कि उसने बार-बार यह दावा किया है कि ये नए आपराधिक कानून आजादी के बाद के सबसे बड़े सुधार हैं, जबकि यह वास्तविकता से बहुत दूर है।


पूर्व गृह मंत्री ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'मैंने तीन विधेयकों की समीक्षा करने वाली स्थायी संसदीय समिति को एक असहमति नोट भेजा था, जो संसद में पेश की गई रिपोर्ट का हिस्सा है।'


उन्होंने आगे कहा, 'मेरे असहमति नोट में मैंने आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा दर धारा तुलना की थी और पाया कि आईपीसी का 90-95 प्रतिशत, सीआरपीसी का 95 प्रतिशत और साक्ष्य अधिनियम का 99 प्रतिशत हिस्सा 'कॉपी' किया गया है और नए विधेयकों में 'पेस्ट' किया गया है।' चिदंबरम ने यह भी कहा कि इन नए कानूनों से न्याय के प्रशासन में केवल भ्रम उत्पन्न हुआ है।