पी. चिदंबरम के बयान से कांग्रेस में मचा हंगामा, ऑपरेशन ब्लू स्टार पर उठे सवाल

पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम के ऑपरेशन ब्लू स्टार को गलती बताने वाले बयान ने कांग्रेस में हंगामा मचा दिया है। उनके इस बयान पर पार्टी के भीतर नाराजगी है, जबकि बीजेपी ने इसे समर्थन दिया है। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।
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पी. चिदंबरम के बयान से कांग्रेस में मचा हंगामा, ऑपरेशन ब्लू स्टार पर उठे सवाल

चिदंबरम का विवादास्पद बयान

पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के हालिया बयान ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार को 'गलती' करार देते हुए कहा कि स्वर्ण मंदिर को पुनः प्राप्त करने का तरीका सही नहीं था। उनके इस बयान पर कांग्रेस के भीतर ही नहीं, बल्कि बीजेपी और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है।


कार्यक्रम में चिदंबरम की टिप्पणी

चिदंबरम हिमाचल प्रदेश के कसौली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, 'यह कहना किसी सैन्य अधिकारी का अपमान नहीं होगा, लेकिन स्वर्ण मंदिर को वापस लेने का तरीका गलत था। कुछ वर्षों बाद हमने सेना को बाहर रखकर सही तरीका अपनाया। ब्लू स्टार एक गलती थी और मुझे लगता है कि इंदिरा गांधी ने इस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकाई।'


कांग्रेस में नाराजगी

चिदंबरम के इस बयान से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में नाराजगी देखी जा रही है। पार्टी के सूत्रों के अनुसार, 'वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से सब कुछ मिला है। उन्हें सार्वजनिक मंच पर बोलने से पहले सतर्क रहना चाहिए। ऐसे बयान पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।'


बीजेपी की प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने चिदंबरम के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, 'ये वही कर रहे हैं जो बीजेपी वाले करते हैं। आज ऑपरेशन ब्लू स्टार पर सवाल उठा रहे हैं, शक होता है कि कहीं बीजेपी से मिले हुए तो नहीं? ऐसे समय में, जब बिहार का चुनाव नजदीक है, इस तरह के बयान कांग्रेस को नुकसान पहुंचाते हैं। चिदंबरम को कांग्रेस की 11 साल की कमियों पर बात करनी चाहिए थी।'


बीजेपी का समर्थन

वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने चिदंबरम के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार को पूरी तरह टाला जा सकता था। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'ऑपरेशन ब्लैक थंडर जैसी रणनीति अपनाकर स्वर्ण मंदिर की पवित्रता को ठेस पहुंचाए बिना आतंकियों को आत्मसमर्पण कराया जा सकता था। लेकिन इंदिरा गांधी ने राजनीतिक लाभ के लिए टकराव का रास्ता चुना। इसका खामियाजा सिख समुदाय को भुगतना पड़ा।'