पिनाक रॉकेट: भगवान शिव के दिव्य धनुष का नाम लेकर भारत ने किया नया इतिहास रचने का कार्य

भारत ने हाल ही में पिनाक लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट का सफल परीक्षण किया है, जो भगवान शिव के दिव्य धनुष के नाम पर रखा गया है। इस रॉकेट का नाम भारतीय पौराणिक कथाओं में शक्ति और धर्म की रक्षा का प्रतीक माना जाता है। जानें इस धनुष की पौराणिक कथा, राजा जनक और सीता स्वयंवर की कहानी, और पिनाक का महत्व। यह परीक्षण भारत की सैन्य क्षमताओं को दर्शाता है और इसके पीछे की धार्मिक मान्यताओं को भी उजागर करता है।
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पिनाक रॉकेट: भगवान शिव के दिव्य धनुष का नाम लेकर भारत ने किया नया इतिहास रचने का कार्य

पिनाक गाइडेड रॉकेट का सफल परीक्षण

पिनाक रॉकेट: भगवान शिव के दिव्य धनुष का नाम लेकर भारत ने किया नया इतिहास रचने का कार्य

पिनाक Image Credit source: Media House


Pinaka Guided Rocket: भारत ने एक बार फिर अपनी सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) में पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (LRGR 120) का सफल परीक्षण किया है। यह वही पिनाक है, जो भारतीय पौराणिक कथाओं में शक्ति, विनाश और धर्म की रक्षा का प्रतीक है। आइए जानते हैं पिनाक के धार्मिक अर्थ और इसके महत्व के बारे में।


भगवान शिव का अजेय धनुष


पिनाका रॉकेट प्रणाली का नाम भगवान शिव के दिव्य धनुष ‘पिनाक’ पर रखा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह धनुष भगवान शिव का था, जिससे उन्होंने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर ने पूरे ब्रह्मांड में आतंक फैला रखा था, जिससे देवता भी भयभीत थे। भगवान शिव ने पिनाक का उपयोग कर एक ही बाण से त्रिपुरासुर का संहार किया, जिससे ब्रह्मांड में शांति स्थापित हुई। इसीलिए पिनाक को विनाश और धर्म की रक्षा का प्रतीक माना जाता है। यह केवल एक हथियार नहीं, बल्कि भारतीय पौराणिक परंपरा में शक्ति और धर्म का प्रतीक है।


राजा जनक से सीता स्वयंवर तक की कथा


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रिपुरासुर का वध करने के बाद यह धनुष राजा जनक के पूर्वज देवरात को प्राप्त हुआ। समय के साथ इसे मिथिला में सुरक्षित रखा गया और इसे उठाना भी असंभव माना जाता था। सीता स्वयंवर के दौरान राजा जनक ने यह शर्त रखी कि जो इस धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, वही सीता से विवाह करेगा। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने पिनाक को न केवल उठाया, बल्कि प्रत्यंचा चढ़ाते समय धनुष को तोड़ दिया, जिससे सीता स्वयंवर पूरा हुआ। यह घटना भगवान राम की शक्ति और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती है।


शिव धनुष पिनाक का महत्व


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पिनाक भगवान शिव के धनुष का नाम है, जिसे स्वयं विश्वकर्मा ने बनाया था। शिव के ‘पिनाकी’ नाम का अर्थ है, वह जो पिनाक धनुष को धारण करते हैं। यह धनुष इतना भारी और शक्तिशाली था कि इसे देवता भी नहीं हिला सकते थे। इसलिए इसे केवल एक लकड़ी का ढांचा नहीं, बल्कि शिव की इच्छाशक्ति और न्याय की शक्ति का प्रतीक माना गया है।