पित्त की थैली में पथरी: लक्षण और उपचार के तरीके

पित्त की थैली में पथरी एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जो कई लोगों को प्रभावित करती है। इसके लक्षणों में तेज पेट दर्द, पीलिया, बुखार, मतली और पेशाब एवं मल के रंग में बदलाव शामिल हैं। जानें कि कब कोलेसिस्टेक्टॉमी की आवश्यकता होती है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है। इस लेख में पित्त की पथरी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
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पित्त की थैली में पथरी के लक्षण

पित्त की थैली में पथरी: लक्षण और उपचार के तरीके


पित्त की थैली में पथरी एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, जो भारत में लगभग 10 से 20 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है। इसे दवाओं और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। हालाँकि, यदि लक्षण गंभीर हो जाएं, तो पित्त की थैली को निकालने की आवश्यकता हो सकती है।


पित्ताशय में पथरी, जिसे चिकित्सा भाषा में कोलेलिथियासिस कहा जाता है, पित्त के कठोर टुकड़े होते हैं जो पित्ताशय या पित्त नलिकाओं में बनते हैं। ये पथरी रक्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलीरुबिन की अधिकता के कारण बनती हैं।


पित्त की थैली में पथरी आमतौर पर कोई समस्या नहीं पैदा करती है, लेकिन यदि ये पित्त के मार्ग में रुकावट डालती है, तो लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में, कोलेसिस्टेक्टॉमी, यानी पित्त की थैली को निकालना, एक सामान्य उपचार विकल्प हो सकता है।


पित्त की पथरी के लक्षणों में पेट के दाएं हिस्से में तेज दर्द शामिल है, जो कभी-कभी कंधे और पीठ तक फैल सकता है।


पीलिया एक गंभीर लक्षण है, जो तब होता है जब पित्त के मार्ग में रुकावट के कारण बिलीरुबिन रक्त में मिल जाता है।


पित्त की पथरी बुखार और ठंड लगने का कारण भी बन सकती है, खासकर जब बाइल डक्ट में रुकावट होती है।


मतली और उल्टी भी गॉलस्टोन के गंभीर लक्षण हैं, जो पित्त के प्रवाह में रुकावट के कारण होते हैं।


यदि आपके पेशाब का रंग गहरा और मल का रंग हल्का हो, तो यह बाइल के आंतों में न पहुंचने का संकेत हो सकता है, और आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।