पितृ पक्ष में किन चीजों की खरीद से बचें

पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष में न खरीदें ये चीजें: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय विशेष माना जाता है। ये 16 दिन पूर्वजों को याद करने, उनके लिए श्राद्ध करने और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर होते हैं। इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है; अन्यथा, पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के बजाय उनकी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। इनमें से एक नियम है लोहे की वस्तुएं न खरीदना। ज्योतिष के अनुसार, लोहे का संबंध शनि ग्रह से है, और पितृ पक्ष के दौरान इसे घर लाना अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय लोहे की वस्तुएं खरीदने से घर की सुख-शांति और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं, भोपाल के ज्योतिषी और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि पितृ पक्ष में लोहे की वस्तुएं खरीदना क्यों वर्जित है।
पितृ पक्ष में लोहे की वस्तुएं क्यों न खरीदें?
पितृ पक्ष का समय पूर्वजों की आत्माओं की शांति और मोक्ष के लिए माना जाता है। इस दौरान लोग नए सामान खरीदने से बचते हैं क्योंकि यह समय भोग और विलासिता का नहीं, बल्कि श्रद्धा और साधारणता का है। लोहे का संबंध शनि ग्रह से है, जिसे न्याय का देवता माना जाता है। पंडितों का मानना है कि यदि पितृ पक्ष में लोहे की वस्तुएं खरीदी जाती हैं, तो इससे शनि देव नाराज होते हैं। इसके परिणामस्वरूप जीवन में कठिनाइयां बढ़ सकती हैं और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने में बाधाएं आ सकती हैं।
कौन सी लोहे की वस्तुओं से बचें?
पितृ पक्ष में सभी प्रकार की लोहे की वस्तुओं से बचना चाहिए, लेकिन विशेष रूप से रसोई से संबंधित लोहे के बर्तन और औजारों की खरीद से पूरी तरह बचना चाहिए। रसोई घर का सबसे पवित्र स्थान होता है क्योंकि यहीं से पूरे परिवार का भोजन तैयार होता है। कहा जाता है कि इस समय रसोई में नए लोहे के सामान लाने से आशीर्वाद कम हो सकता है और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है।
इसके अलावा, घर की सजावट या दैनिक उपयोग के लिए लोहे की वस्तुओं, जैसे दरवाजे, ताले या औजारों से भी इस समय बचना चाहिए।
लोहे का दान क्यों शुभ है?
हालांकि पितृ पक्ष में लोहे की खरीद अशुभ मानी जाती है, लेकिन इसका दान बहुत शुभ होता है। इस समय तिल, काले कपड़े और लोहे की वस्तुओं का दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है। दान पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसा माना जाता है कि दान करने से पूर्वजों की आत्माएं मोक्ष प्राप्त करती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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