पितृ पक्ष 2025: श्राद्ध के लिए उचित और अनुचित स्थान

पितृ पक्ष 2025 के दौरान श्राद्ध करने के लिए सही और गलत स्थानों की जानकारी महत्वपूर्ण है। इस लेख में जानें कि किन स्थानों पर श्राद्ध करना वर्जित है और किन स्थानों पर इसे करना शुभ माना जाता है। सही विधियों और स्थानों का चयन करके आप अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।
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पितृ पक्ष 2025: श्राद्ध के लिए उचित और अनुचित स्थान

पितृ पक्ष का महत्व


पितृ पक्ष 2025: श्राद्ध पक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से लेकर आश्विन की अमावस्या तक चलता है, जिसे पितृ पक्ष कहा जाता है। यदि आप इस दौरान अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान करने जा रहे हैं, तो यह जानना आवश्यक है कि शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध किस स्थान पर नहीं करना चाहिए और किस स्थान पर करना शुभ माना जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं....


इन 4 स्थानों पर श्राद्ध करना वर्जित है

देव स्थान: किसी भी मंदिर या देवस्थान के अंदर या उसके परिसर में श्राद्ध नहीं करना चाहिए क्योंकि यह देवभूमि है। स्थान का चयन पंडित या विद्वान की सलाह पर करें।


अशुद्ध भूमि: अशुद्ध होने वाली भूमि पर श्राद्ध नहीं किया जाता है। कांटेदार या बंजर भूमि पर भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए। खुले में शौच जाने वाली भूमि पर भी श्राद्ध नहीं किया जाना चाहिए, भले ही उस भूमि को शुद्ध किया गया हो।


दूसरों की भूमि: किसी अन्य व्यक्ति की व्यक्तिगत भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए। यदि किसी अन्य के घर या भूमि पर श्राद्ध करना है, तो भूमि मालिक को किराया या दक्षिणा देना चाहिए।


श्मशान भूमि: किसी भी श्मशान भूमि पर श्राद्ध नहीं किया जा सकता है, जो तीर्थ स्थल नहीं माना जाता। देश में कुछ श्मशान भूमि तीर्थ स्थल माने जाते हैं। उदाहरण के लिए, उज्जैन का चक्रतीर्थ श्मशान तीर्थ स्थल का दर्जा रखता है। हालांकि, ऐसे स्थानों पर श्राद्ध केवल मजबूरी में करना चाहिए।


इन 8 स्थानों पर श्राद्ध किया जा सकता है

नदी किनारा: श्राद्ध किसी भी पवित्र नदी या नदी के संगम के किनारे उचित समय पर विधिपूर्वक किया जा सकता है।


तीर्थ क्षेत्र: श्राद्ध उन तीर्थ स्थलों पर किया जा सकता है, जो शास्त्रों में उल्लेखित हैं। देश में श्राद्ध तर्पण के लिए 64 से अधिक स्थान हैं, जैसे गया, नासिक और उज्जैन।


समुद्र: समुद्र तट पर भी श्राद्ध किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए समुद्र तट पर एक पवित्र स्थान का चयन करना आवश्यक है।


घर: श्राद्ध की विधियाँ अपने घर पर करना बेहतर होगा। यदि पूर्वजों के उद्धार के लिए विशेष श्राद्ध करना है, तो नदी किनारे या गया जैसे स्थानों का चयन करें।


पीपल: श्राद्ध की विधियाँ पवित्र वट वृक्ष के नीचे की जा सकती हैं, बशर्ते वहां कोई देव स्थान न हो।


गौशाला: श्राद्ध गौशाला में किया जा सकता है, जहां बैल नहीं बंधे हों, और उचित स्थान को गोबर से शुद्ध किया गया हो।


पहाड़: श्राद्ध किसी भी पवित्र पहाड़ी की चोटी पर किया जा सकता है, भले ही वहां देव स्थान न हो।


जंगल: श्राद्ध किसी भी छोटे या बड़े जंगल में उचित स्थान खोजकर, उसे साफ करके और विधिपूर्वक किया जा सकता है।


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