पिता ने तेंदुए से लड़कर बेटी की जान बचाई, वन विभाग ने दी सहायता

उत्तर प्रदेश के बहराइच में एक पिता ने अपनी चार साल की बेटी को तेंदुए से बचाने के लिए अद्वितीय साहस का प्रदर्शन किया। जब तेंदुआ बच्ची को अपने जबड़े में दबोचकर भागने लगा, तो पिता ने बिना सोचे-समझे तेंदुए से भिड़ गए। इस संघर्ष में बच्ची को गंभीर चोटें आईं, लेकिन पिता ने उसे बचाने में सफलता पाई। घटना के बाद वन विभाग ने पिता को सहायता राशि प्रदान की। जानें इस दिलचस्प और साहसी कहानी के बारे में।
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पिता ने तेंदुए से लड़कर बेटी की जान बचाई, वन विभाग ने दी सहायता

पिता की बहादुरी से बची बेटी

Father fought with dreaded leopard for daughter, pulled out innocent by putting hand in jaw


उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक पिता ने अपनी चार साल की बेटी की जान बचाने के लिए एक तेंदुए से मुकाबला किया। यह घटना कतर्निया घाट क्षेत्र के तनाजा गांव में हुई, जहां एक तेंदुआ अचानक एक घर में घुस आया और सो रही बच्ची को अपने जबड़े में दबोचकर भागने लगा। बच्ची की चीख सुनकर उसके पिता रामबक्श मौके पर पहुंचे और तेंदुए से भिड़ गए।


इस संघर्ष के दौरान, तेंदुआ बच्ची को छोड़कर जंगल की ओर भाग गया। हालांकि, बच्ची को गंभीर चोटें आई हैं, और उसके पिता को भी हल्की चोटें आई हैं। वन विभाग ने रामबक्श को 10,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की है।


घटना के बाद, बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। रामबक्श ने बताया कि सुबह उनकी पत्नी घर के काम में व्यस्त थीं और वह कमरे में थे, तभी उन्हें अपनी बेटी की चीख सुनाई दी।


पिता ने बताया कि जब वह आंगन में पहुंचे, तो देखा कि तेंदुआ उनकी बेटी को मुंह में दबाए हुए था। उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के तेंदुए पर कूदकर अपनी बेटी को छुड़ाने का प्रयास किया। संघर्ष के दौरान, उन्होंने पास में रखे डंडे से तेंदुए को मारने की कोशिश की।


लगभग पांच मिनट तक तेंदुआ उन पर हमला करता रहा, लेकिन रामबक्श ने हिम्मत नहीं हारी। अंततः तेंदुआ जंगल की ओर भाग गया। इसके बाद रामबक्श और उनकी पत्नी ने बच्ची को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिहींपुरवा ले जाकर इलाज करवाया।


घटना की जानकारी मिलने पर क्षेत्राधिकारी एसके तिवारी भी मौके पर पहुंचे और बच्ची की स्थिति की जानकारी ली। तेंदुए के हमले से ग्रामीणों में दहशत फैल गई है, जिसके चलते वनकर्मियों की गश्त बढ़ा दी गई है और ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है।