पाटोदा: पर्यावरण संरक्षण का आदर्श गांव

पाटोदा का पर्यावरण संरक्षण में योगदान
छत्रपति संभाजीनगर जिले का पाटोदा गांव आज पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास का प्रतीक बन चुका है। यह गांव अपनी अनोखी पहलों और सामुदायिक सहभागिता के लिए जाना जाता है। पाटोदा ग्राम पंचायत भारत की पहली कार्बन न्यूट्रल ग्राम पंचायतों में से एक है। इसी कारण, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जून 2025 को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में पाटोदा की पहलों की सराहना की, जिससे गांव को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
पाटोदा की जनसंख्या और साक्षरता
पाटोदा गांव, जो छत्रपति संभाजीनगर जिला मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर दूर स्थित है, की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 2,368 है। इसमें 1,229 पुरुष और 1,139 महिलाएं शामिल हैं। 0-6 वर्ष के बच्चों की संख्या 348 है। गांव की साक्षरता दर 72.5 प्रतिशत है, जो जिले की औसत 67.6 प्रतिशत से अधिक है। पुरुषों की साक्षरता 83.38 प्रतिशत और महिलाओं की 61.02 प्रतिशत है।
कार्बन न्यूट्रल पहलें
पाटोदा ने कार्बन न्यूट्रल गांव का दर्जा प्राप्त किया है, जिससे यह पूरे देश में एक मॉडल के रूप में उभरा है। 2023 में राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों में इसने कार्बन न्यूट्रल श्रेणी में दूसरा स्थान प्राप्त किया। गांव में कचरा प्रबंधन की एक प्रभावी प्रणाली विकसित की गई है, जिसमें घरों से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र किया जाता है। गीले कचरे से खाद बनाई जाती है, जबकि सूखे कचरे को बेचा जाता है।
सौर ऊर्जा और बायोगैस संयंत्र
गांव में 15 सौर लैंप और 11 बायोगैस संयंत्र स्थापित हैं, जिनमें से दो शौचालयों से जुड़े हैं। ये परियोजनाएं पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देती हैं। इसके अलावा, वृक्षारोपण को भी प्राथमिकता दी गई है। प्रत्येक ग्रामीण और छात्र को उनके जन्मदिन पर एक पेड़ उपहार में दिया जाता है।
प्रधानमंत्री की प्रशंसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में पाटोदा की पहलों की प्रशंसा की। उन्होंने गांव के कचरा प्रबंधन, सौर ऊर्जा के उपयोग और वृक्षारोपण की सराहना की। इस उल्लेख ने पाटोदा की सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई और ग्रामीणों का उत्साह बढ़ाया।
सामाजिक और प्रशासनिक पहलें
पाटोदा ने सामाजिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में भी उत्कृष्टता दिखाई है। गांव में 34 नवाचारपूर्ण पहलें लागू की गई हैं, जिसके कारण इसे 24 पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। यहां मुफ्त आटा चक्कियां और सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए गए हैं, जो सुरक्षा और कचरा प्रबंधन में सहायक हैं।
महिलाओं का सशक्तिकरण
गांव में महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से सशक्त किया गया है। धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।
वित्तीय प्रबंधन
पाटोदा ने कर संग्रह प्रणाली में भी सफलता हासिल की है, जिससे हर साल 90-95 प्रतिशत कर वसूली होती है। कार्बन न्यूट्रल पहलों के कारण गांव को लगभग चार करोड़ रुपये पुरस्कारों के माध्यम से प्राप्त हुए हैं।
पाटोदा पैटर्न
पूर्व सरपंच भास्करराव पेरे पाटिल के नेतृत्व में पाटोदा ने 'पाटोदा पैटर्न' विकसित किया है, जो पर्यावरण संरक्षण, कुशल प्रशासन और सामुदायिक सहभाग पर आधारित है। यह पैटर्न अन्य ग्राम पंचायतों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' में पाटोदा का उल्लेख होने से गांव की पहलों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। यह दर्शाता है कि छोटे गांवों से भी बड़े बदलाव संभव हैं।