पाकिस्तानी सेना की नई रणनीति: गाजा में सैनिकों की तैनाती के लिए मुनाफे की मांग

पाकिस्तानी सेना की गाजा में सैनिकों की तैनाती के लिए मुनाफे की मांग का खुलासा हुआ है। वरिष्ठ पत्रकार अस्मा शिराजी के अनुसार, जनरल आसिम मुनीर ने इजराइल से प्रति सैनिक 10,000 डॉलर की मांग की थी। यह खुलासा पाकिस्तान की छवि को ध्वस्त कर रहा है, जो वर्षों से मुस्लिमों के हितों का रक्षक बनने का दावा कर रहा था। जानें इस विवाद के पीछे की सच्चाई और पाकिस्तान की सेना की नई रणनीति के बारे में।
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पाकिस्तानी सेना की नई रणनीति: गाजा में सैनिकों की तैनाती के लिए मुनाफे की मांग

गाजा में शांति या व्यापार का नया रूप?

पाकिस्तानी सेना की नई रणनीति: गाजा में सैनिकों की तैनाती के लिए मुनाफे की मांग

गाजा की ‘शांति’ या एक नई डील?

जब शांति की बात होती है, तो आमतौर पर इसमें मानवता, सिद्धांत और नैतिकता का समावेश होता है। लेकिन हाल ही में पाकिस्तानी सेना के संबंध में जो खुलासा हुआ है, वह कुछ और ही दर्शाता है। पाकिस्तान पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि वह अपने सैनिकों की तैनाती को एक 'मुनाफे की डील' में बदल रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार अस्मा शिराजी के अनुसार, जनरल आसिम मुनीर ने इजराइल से गाजा में तैनाती के लिए प्रति सैनिक 10,000 डॉलर की मांग की थी। इस खबर ने पाकिस्तान की उस छवि को ध्वस्त कर दिया है, जिसे वह वर्षों से 'मुस्लिमों के हितों का रक्षक' के रूप में प्रस्तुत कर रहा था।


गाजा में शांति की योजना

गाजा की ‘शांति’ या एक नई डील?

डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी 20-सूत्रीय गाजा शांति योजना में एक बहुराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) बनाने का प्रस्ताव रखा था। इस योजना में अमेरिकी सैनिकों की अनुपस्थिति की बात कही गई थी, जबकि अरब और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को शामिल करने का सुझाव दिया गया था। पाकिस्तान ने इस योजना में भागीदारी की इच्छा भी जताई थी।

रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था कि यदि पाकिस्तान को गाजा में सैनिक भेजने का अवसर मिलता है, तो यह गर्व की बात होगी। इस्लामाबाद ने लगभग 20,000 सैनिक भेजने की योजना बनाई थी। लेकिन हालिया खुलासे ने इस मिशन की वास्तविक मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


किराए के सैनिकों का नया चेहरा

किराए के फौजी: पाकिस्तानी सेना का नया चेहरा

यदि अस्मा शिराजी के दावे सही हैं, तो यह संकेत है कि पाकिस्तान की सेना मुनाफे के लिए काम कर रही है। पाकिस्तान ने पहले भी विदेशी तैनाती के माध्यम से अपने सैनिकों को भेजा है, लेकिन गाजा के लिए 10,000 डॉलर प्रति सैनिक की मांग ने इस पुरानी छवि को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है।


10,000 डॉलर की दर

10,000 डॉलर की दर

यदि इस डील में 20,000 सैनिक तैनात होते, तो कुल रकम 200 मिलियन डॉलर होती। इजराइल ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए केवल 100 डॉलर प्रति सैनिक की पेशकश की। इस स्थिति ने पाकिस्तान को एक जिम्मेदार देश के बजाय 'भाड़े के सैनिक बेचने वाले देश' के रूप में प्रस्तुत किया है।


पाकिस्तानी सेना की मुनाफे की खोज

पाकिस्तानी सेना सिर्फ मुनाफा खोजने लगी?

पाकिस्तान की सेना पर लंबे समय से 'किराए पर उपलब्ध' रहने का आरोप लगता रहा है। चाहे वह नकद हो, तेल के बदले सेवा हो, या रणनीतिक लाभ। अब यह आरोप गाजा जैसे संवेदनशील युद्ध-केंद्रित क्षेत्र में सामने आया है। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी है, जो न केवल उसकी विदेश नीति की छवि को प्रभावित करता है, बल्कि पाकिस्तान के नागरिकों को भी यह याद दिलाता है कि उनकी सेना, जिसे वे 'राष्ट्रीय गौरव' मानते हैं, अब सिद्धांतों से ज्यादा पैसे के लिए काम कर रही है।