पाकिस्तान में हाइब्रिड शासन की सच्चाई: रक्षा मंत्री का खुलासा

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में हाइब्रिड शासन की सच्चाई को स्वीकार किया है, जिसमें सरकार और सेना मिलकर नीतियां बनाते हैं। उन्होंने कहा कि यह मॉडल आदर्श लोकतंत्र नहीं है, बल्कि सेना के प्रभाव को दर्शाता है। आसिफ के बयान ने पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति पर नए सवाल उठाए हैं, खासकर जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने चुनावों में धांधली का आरोप लगाया। जानें इस हाइब्रिड मॉडल के पीछे की राजनीति और इसके प्रभाव के बारे में।
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पाकिस्तान में हाइब्रिड शासन की सच्चाई: रक्षा मंत्री का खुलासा

पाकिस्तान में सेना का प्रभाव

पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति पर सवाल उठाना अब कोई नई बात नहीं है। भले ही देश में लोकतंत्र की बातें की जाती हों और चुनावों का आयोजन किया जाता हो, असल में वहां की सेना का प्रभाव हमेशा से बना रहा है। हाल ही में, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के करीबी सहयोगी और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस हाइब्रिड शासन की वास्तविकता को स्वीकार किया है। हाइब्रिड मॉडल का अर्थ है कि सरकार और सेना मिलकर नीतियों का निर्माण करते हैं, लेकिन असली सत्ता सेना के हाथ में होती है।


हाइब्रिड मॉडल की स्वीकार्यता

ख्वाजा आसिफ ने इस हाइब्रिड मॉडल को दूसरी बार स्वीकार किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यवस्था केवल कुछ विशेष हितों की सेवा करती है, न कि वास्तविक सत्ता-साझाकरण का उदाहरण प्रस्तुत करती है। अरब न्यूज़ को दिए गए एक साक्षात्कार में, आसिफ ने कहा कि शरीफ की पीएमएल-एन पार्टी सेना के समर्थन पर निर्भर है।


आर्थिक समस्याओं के बीच हाइब्रिड मॉडल

आसिफ ने कहा, "यह एक हाइब्रिड मॉडल है, जो आदर्श लोकतांत्रिक सरकार नहीं है। यह तब तक आवश्यक है जब तक पाकिस्तान आर्थिक और प्रशासनिक समस्याओं से बाहर नहीं निकल जाता।" उन्होंने यह भी कहा कि यदि यह मॉडल 1990 में लागू होता, तो पाकिस्तान की राजनीति में स्थिरता बनी रह सकती थी।


सत्ता की असली चाबी

आसिफ ने यह भी स्पष्ट किया कि पीएमएल-एन और शरीफ के लिए एकमात्र व्यावहारिक विकल्प सेना के साथ समझौता करना है। उनका यह बयान उस समय आया जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने अमेरिका के व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की। आसिफ ने इसे 78 वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ बताया और इसे हाइब्रिड मॉडल की सफलता के रूप में देखा।


वोट को इज्जत दो: एक नारा

हाइब्रिड मॉडल को अपनाने के बाद पीएमएल-एन का प्रसिद्ध नारा "वोट को इज्जत दो" अब केवल एक नारा बनकर रह गया है। आलोचकों का कहना है कि पीएमएल-एन ने अपनी पार्टी को सेना के साथ जोड़ लिया है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने आरोप लगाया कि हाल के आम चुनावों में व्यापक धांधली हुई थी।


सत्ता की असली पहचान

डॉ. रसूल बख्श रईस ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान में असली सत्ता किसके पास है। उन्होंने इमरान खान के सत्ता से बाहर होने के बाद हाइब्रिड शासन की वापसी को तीसरी बार बताया। वरिष्ठ पत्रकार मतिउल्लाह जान ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की कि जो रक्षा मंत्री संविधान की रक्षा की शपथ लेता है, वह हाइब्रिड शासन की बात करता है, जबकि पाकिस्तान के संविधान में इस व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं है।