पाकिस्तान के ड्रोन हमले के खिलाफ भारत का एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय

पाकिस्तान का समन्वित ड्रोन हमला
पाकिस्तान ने हाल ही में भारत की पश्चिमी सीमा पर 36 स्थानों पर एक समन्वित ड्रोन हमला किया। इस दौरान भारत का एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय हो गया, और एल/70 एयर डिफेंस गन ने खतरे को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 8-9 मई की रात, पाकिस्तान ने भारतीय प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए 300-400 ड्रोन भेजे, जिसका उद्देश्य भारत की हवाई सुरक्षा का परीक्षण करना और ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए हमलों के बाद स्थिति का आकलन करना था। इन ड्रोन खतरों का सामना करने के लिए उन्नत 40-मिमी एल/70 एंटी-एयरक्राफ्ट गन का उपयोग किया गया, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विकसित किया गया था। हालांकि, इसे पिछले 20-25 वर्षों से अपग्रेड करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
नए फायर कंट्रोल रडार सिस्टम की आवश्यकता
भारतीय सेना ने इस गन के लिए एक नया फायर कंट्रोल रडार सिस्टम खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सेना ने डिफेंस कंपनियों से रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन (आरएफआई) जारी की है, जिसमें पूछा गया है कि वे इस प्रकार का सिस्टम क्या प्रदान कर सकते हैं। फायर कंट्रोल रडार सिस्टम गन के लिए आंख-कान का काम करता है, जो खतरों का पता लगाकर गन को फायर करने का निर्देश देता है। वर्तमान में, एयर डिफेंस गन के लिए दो प्रकार के फायर कंट्रोल सिस्टम उपलब्ध हैं, जिनमें से एक रूस का और दूसरा हॉलैंड से लिया गया है। ये सिस्टम पूरी तरह से डिजिटल नहीं हैं और इन्हें अपग्रेड करने की आवश्यकता है।
एल/70 एयर गन का इतिहास
एल/70 एयर गन को मूल रूप से 1940 के दशक के अंत में स्वीडन की एबी बोफोर्स द्वारा विकसित किया गया था। यह एल/60 का उत्तराधिकारी है, जिसे नाटो द्वारा 1952 में अपनाया गया था। यह मध्यम-कैलिबर वायु रक्षा प्लेटफ़ॉर्म के लिए नाटो का मानक बन गया, जो अपने उच्च-वेग 40-मिमी राउंड और तेज़ चक्रीय दर के लिए जाना जाता है।
चुनौतियाँ और आवश्यकताएँ
भारतीय सेना को L-70 के लिए एक ऐसा फायर कंट्रोल सिस्टम चाहिए, जो वाहन पर स्थापित किया जा सके और ड्रोन का पता लगा सके। वर्तमान में, ये सिस्टम ड्रोन को पहचानने में असमर्थ हैं और दुश्मन के ड्रोन की पहचान के लिए अन्य रडार सिस्टम की सहायता की आवश्यकता होती है।