पाकिस्तान और तालिबान के बीच बढ़ता तनाव: अफगानिस्तान में हमला
पाकिस्तान का हमला
पाकिस्तान और तालिबान के बीच तनाव एक बार फिर से बढ़ गया है, जब पाकिस्तान ने बिना किसी स्पष्ट कारण के अफगानिस्तान में एक गंभीर हमला किया। इस हमले में कम से कम 10 लोगों की जान चली गई। तालिबान के प्रवक्ता जबी उल्ला मुजाहिद के अनुसार, यह हमला आधी रात के करीब गिरबज़े जिले में एक स्थानीय व्यक्ति विलायत खान के घर पर हुआ। यह हमला इतना भयंकर था कि पूरा घर मलबे में तब्दील हो गया, जिसमें पांच लड़के, चार लड़कियां और एक महिला की मौत हो गई। मुजाहिद ने यह भी बताया कि पाकिस्तानी सेना ने केवल खोज नहीं की, बल्कि कुनर और पक्का प्रांतों में भी हवाई कारवाई की, जिसमें चार अन्य नागरिक घायल हुए हैं। जबी उल्ला मुजाहिद ने हमले की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की हैं, जिससे अफगानिस्तान और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ गई है।
पाकिस्तान की चुप्पी
इस हमले पर पाकिस्तान की सेना और विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब एक दिन पहले पाकिस्तान के पेशावर में दो आत्मघाती हमलों में तीन अर्धसैनिक जवानों की मौत हुई थी। पाकिस्तान ने इन हमलों के लिए अफगान सीमा के भीतर छिपे उग्रवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया था और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इस हमले के बाद, पाकिस्तान ने तालिबान को एक तरह से चुनौती दी है, क्योंकि तालिबान ने स्पष्ट रूप से कहा था कि पाकिस्तान की ओर से कोई भी कार्रवाई एक युद्ध का कार्य होगा।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान तनाव
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव कई महीनों से जारी है, जिसका मुख्य कारण सीमा पार हमले और बढ़ता अविश्वास है। अक्टूबर में पाकिस्तान ने अफगान सीमावर्ती क्षेत्रों में हवाई हमले किए, जिसमें तीन अफगान क्रिकेटरों की जान चली गई। अफगान अधिकारियों ने आरोप लगाया कि पीड़ितों में बच्चे भी शामिल थे। इसके बाद पाकिस्तान ने काबुल में भी हमले किए, जिसके जवाब में अफगानिस्तान ने प्रतिक्रिया दी। हालांकि, दोनों पक्षों ने संभावित युद्धविराम पर चर्चा की है, लेकिन पाकिस्तान के हमले जारी हैं।
पश्तूनिस्तान की मांग
दोनों देशों के बीच दुश्मनी कोई नई बात नहीं है। पाकिस्तान के गठन के तुरंत बाद, काबुल की स्वतंत्र पश्तूनिस्तान की मांग को लेकर तनाव शुरू हुआ। 1949 में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के अंदर कबायली बस्तियों पर बमबारी की, जिससे कई सीमा संघर्ष हुए और राजनयिक संबंधों में तनाव पैदा हुआ। बाद में अमेरिका ने हस्तक्षेप किया, जिससे अफगानिस्तान को पाकिस्तान और ईरान दोनों के साथ संबंधों को फिर से बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
