पहली बार तीन लोगों के डीएनए से जन्मा सुपर बेबी, जेनेटिक बीमारियों से मुक्त

सुपर बेबी का जन्म: एक नई चिकित्सा उपलब्धि
लंबे समय से यह सवाल उठता रहा है कि क्या कोई ऐसा बच्चा हो सकता है, जिसे आनुवांशिक बीमारियों से मुक्त रखा जा सके? अब इस सवाल का उत्तर मिल गया है। दुनिया में पहली बार एक ऐसा बच्चा पैदा हुआ है, जिसे किसी भी प्रकार की जेनेटिक बीमारी नहीं होगी। इसे सुपर बेबी (SuperBaby) कहा जा रहा है, क्योंकि यह तीन लोगों के डीएनए से विकसित हुआ है। इसमें माता-पिता का डीएनए शामिल है, साथ ही एक अन्य महिला का भी योगदान है।
चिकित्सा विज्ञान के दृष्टिकोण से यह एक अद्भुत उपलब्धि है। रिपोर्टों के अनुसार, यह बच्चा इंग्लैंड में जन्मा है। इसका जन्म एक विशेष तकनीक के माध्यम से हुआ है, जिसका उपयोग माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों को रोकने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में एक स्वस्थ महिला के अंडों से ऊतक निकाले जाते हैं, जिनसे आईवीएफ भ्रूण बनाए जाते हैं। ये भ्रूण उन हानिकारक म्यूटेशन से मुक्त होते हैं, जो मां अपने बच्चों को दे सकती है।
इस तकनीक के अनुसार, नवजात बच्चों को जेनेटिक बीमारियों से बचाने का यह सबसे प्रभावी तरीका है। यह आईवीएफ तकनीक का एक नया रूप है, जिसमें जैविक माता-पिता के शुक्राणु और अंडों के माइटोकॉन्ड्रिया को मिलाया जाता है। माइटोकॉन्ड्रिया कोशिकाओं का ऊर्जा स्रोत होते हैं, और इनमें हानिकारक म्यूटेशन जमा होते हैं, जो बाद में बच्चे की सेहत को प्रभावित कर सकते हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, इस प्रक्रिया में 99.8 प्रतिशत डीएनए माता-पिता से लिया गया है, जबकि शेष हिस्सा जन्म देने वाली महिला से प्राप्त हुआ है। बच्चे की शारीरिक विशेषताएं, जैसे कि आंखों का रंग, उसके माता-पिता से ही आएंगी, जबकि तीसरी डोनर महिला का डीएनए केवल एक छोटी मात्रा में होगा। इस प्रकार, बच्चा अपने असली माता-पिता के समान ही दिखाई देगा।