पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कई लोग सामान्य गलतियों का सामना करते हैं, जैसे गलत फॉर्म का चयन और सभी आय की जानकारी न देना। इस लेख में, हम उन महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करेंगे, जिन्हें ध्यान में रखकर आप अपनी टैक्स फाइलिंग को सरल और सही बना सकते हैं। जानें कैसे सही फॉर्म चुनें, सभी आवश्यक दस्तावेज संभालकर रखें, और ई-वेरिफिकेशन को पूरा करें।
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पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग

पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने वाले व्यक्तियों को कई सामान्य गलतियों का सामना करना पड़ सकता है, जो बाद में उनके लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। इनमें गलत ITR फॉर्म का चयन, वार्षिक सूचना विवरण (AIS) में गलत जानकारी देना, सभी आय और हानि की रिपोर्ट न करना, या सभी बैंक खातों की जानकारी साझा न करना शामिल हैं। इनसे रिटर्न में देरी या अनावश्यक जांच की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए, पहली बार ITR फाइल करने वालों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए।


सही फॉर्म का चयन करें

ITR के सात प्रकार होते हैं: ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6, और ITR-7। विभिन्न आय समूहों के लिए अलग-अलग फॉर्म भरे जाते हैं। नीचे दिए गए तालिका में यह स्पष्ट किया गया है कि किस फॉर्म का उपयोग कब करना चाहिए।


एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट और फॉर्म 26AS की जांच करें

पहली बार ITR फाइल करने वाले अक्सर अपने नियोक्ता द्वारा जारी फॉर्म 16 पर निर्भर रहते हैं और AIS/TIS तथा फॉर्म 26AS में दी गई जानकारी को नजरअंदाज कर देते हैं। ये विवरण नियोक्ता, बैंक, म्यूचुअल फंड और अन्य स्रोतों द्वारा दी गई आय को TCS/TDS कटौती के साथ दर्शाते हैं। इसलिए, 26AS फॉर्म में उपलब्ध जानकारी को अनदेखा नहीं करना चाहिए।


सभी आय और हानि की जानकारी दें

टैक्सपेयर्स केवल टैक्स योग्य आय की जानकारी देते हैं, जो एक गलत प्रथा है। PPF ब्याज जैसी छूट वाली आय और पूंजीगत हानि जैसी जानकारी भी साझा करनी चाहिए। यदि आप पुरानी टैक्स व्यवस्था का चयन करते हैं और ऐसी छूट वाली आय या हानि की रिपोर्ट नहीं करते हैं, तो आपको नुकसान हो सकता है।


जरूरी दस्तावेज संभालकर रखें

कई लोग टैक्स फाइल करते समय कटौतियों का दावा तो करते हैं, लेकिन संबंधित दस्तावेज या सबूत नहीं रखते। यह एक बड़ी गलती है, क्योंकि आयकर विभाग द्वारा जांच के दौरान इन कटौतियों का प्रमाण दिखाना आवश्यक होता है। इसलिए सभी रसीदें, निवेश प्रमाणपत्र, मेडिकल बिल, और बीमा प्रीमियम जैसे दस्तावेजों को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है।


सही आय श्रेणी चुनें

आय को गलत श्रेणी में दिखाना एक सामान्य लेकिन गंभीर गलती है। जैसे फ्रीलांसिंग आय को वेतन में या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन को लॉन्ग-टर्म में दिखाना। इससे टैक्स की गलत गणना हो सकती है। सही टैक्स रिटर्न भरने के लिए आय की सही श्रेणी को समझना और ठीक से वर्गीकृत करना आवश्यक है।


विदेशी शेयर को विदेशी संपत्ति में दिखाएं

भारतीय कर्मचारी जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्यरत हैं, अक्सर विदेशी शेयर प्राप्त करते हैं। इन्हें बेचने पर मिलने वाली डिविडेंड आय और पूंजीगत लाभ की रिपोर्ट करना आवश्यक है। विदेशी शेयरों को विदेशी संपत्ति में भी दिखाना होता है। यदि टैक्स कट गया हो, तो डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) के तहत राहत मिल सकती है। जानकारी छुपाने पर जुर्माना लग सकता है।


सभी बैंक खातों की जानकारी दें

पहली बार टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले केवल सैलरी अकाउंट की जानकारी देते हैं। वे सेविंग और एनआरओ (Non-Resident Ordinary) खातों की जानकारी देना उचित नहीं समझते हैं। सभी बैंक खातों की रिपोर्ट करना आवश्यक है।


E-verification कंप्लीट करें

रिटर्न फाइल करने के 30 दिन के भीतर ई-वेरिफिकेशन करना होता है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि ई-वेरिफिकेशन पूरा नहीं हुआ तो यह अमान्य माना जाएगा। ई-वेरिफिकेशन आधार, OTP, या नेट बैंकिंग के माध्यम से किया जा सकता है।