पहलगाम हमले में पाकिस्तान के सबूत मिले, आतंकियों की पहचान हुई स्पष्ट

पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों के पाकिस्तान से संबंध के सबूत सामने आए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में इस बात की पुष्टि की कि बरामद किए गए दस्तावेज़ों से यह स्पष्ट होता है कि हमलावर पाकिस्तानी नागरिक थे। ऑपरेशन महादेव के तहत एकत्र किए गए साक्ष्यों में फोरेंसिक और दस्तावेजी सबूत शामिल हैं, जो आतंकवादियों की पहचान और उनके संबंधों को दर्शाते हैं। जानें इस मामले में और क्या जानकारी मिली है।
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पहलगाम हमले में पाकिस्तान के सबूत मिले, आतंकियों की पहचान हुई स्पष्ट

पाकिस्तान से जुड़े सबूतों का खुलासा

चॉकलेट रैपर, पाकिस्तानी पहचान पत्र, सैटेलाइट फोन लॉग और अन्य कई सबूत पहलगाम हमलावरों के पाकिस्तान से संबंध को दर्शाते हैं। यह जानकारी सूत्रों द्वारा दी गई है। 28-29 जुलाई के बीच भारतीय एजेंसियों द्वारा एकत्र किए गए सबूत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 29 जुलाई को लोकसभा में प्रस्तुत किए गए।


शाह ने अपने भाषण में कहा था कि आतंकवादियों की पहचान पाकिस्तान में हुई है। उन्होंने कहा, "यह पहली बार है जब हमें सरकार द्वारा जारी पाकिस्तानी दस्तावेज़ मिले हैं, जो पहलगाम हमलावरों की राष्ट्रीयता को स्पष्ट रूप से साबित करते हैं।"


आतंकियों की पहचान और उनके संबंध

ऑपरेशन महादेव के दौरान और उसके बाद एकत्र किए गए फोरेंसिक और दस्तावेजी साक्ष्यों से यह स्पष्ट हुआ है कि पहलगाम आतंकी हमले में शामिल तीनों हमलावर पाकिस्तानी नागरिक थे और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के वरिष्ठ सदस्य थे। हमले के दिन से ही ये दाचीगाम-हरवान वन क्षेत्र में छिपे हुए थे। इस हमले में कोई स्थानीय कश्मीरी शामिल नहीं था।


सूत्रों के अनुसार, आतंकवादियों की पहचान ए++ कमांडर सुलेमान शाह (कोड नाम फैजल जट्ट), ए-ग्रेड कमांडर अबू हमजा (कोड नाम अफगान) और ए-ग्रेड कमांडर यासी (कोड नाम जिब्रान) के रूप में हुई है।


पाकिस्तान के सबूतों की बरामदगी

इन आतंकवादियों के पाकिस्तान से संबंध साबित करने के लिए सुरक्षा बलों ने पाकिस्तानी मतदाता पहचान पत्र बरामद किए। सुलेमान शाह और अबू हमजा की जेबों से पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा जारी दो लेमिनेटेड मतदाता पर्चियाँ मिलीं। ये पर्चियाँ क्रमशः लाहौर (एनए-125) और गुजरांवाला (एनए-79) की मतदाता सूचियों से मेल खाती हैं।


इसके अतिरिक्त, उन्हें राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (एनएडीआरए) से जुड़ी स्मार्ट-आईडी चिप्स भी मिलीं। सूत्रों के अनुसार, क्षतिग्रस्त सैटेलाइट फोन से प्राप्त माइक्रोएसडी में तीनों व्यक्तियों के एनएडीआरए बायोमेट्रिक रिकॉर्ड (उंगलियों के निशान, चेहरे के नमूने, परिवार वृक्ष) थे, जिससे उनकी पाकिस्तानी नागरिकता और चंगा मंगा (कसूर जिला) तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रावलकोट के पास कोइयन गांव में उनके पते की पुष्टि हुई।