पहलगाम आतंकी हमले की जांच में नए खुलासे, पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ
पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच में कई नए तथ्य सामने आए हैं। सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, यह हमला पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा द्वारा रचा गया था। एनआईए ने दो संदिग्ध आतंकवादियों से पूछताछ के बाद एक स्थानीय गवाह की पहचान की है, जिसने आतंकवादियों को भागते हुए देखा था। गवाह की गवाही और बरामद किए गए सबूतों ने इस हमले की साजिश को और स्पष्ट किया है।
Jul 16, 2025, 11:56 IST
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पहलगाम में आतंकवादी हमला
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का हाथ होने की जानकारी मिली है। यह साजिश पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के निर्देश पर बनाई गई थी, जैसा कि सुरक्षा सूत्रों ने बताया।
एनआईए की जांच में प्रगति
22 अप्रैल को हुए इस हमले की राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) द्वारा जांच तेज हो गई है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दो संदिग्ध आतंकवादियों, परवेज अहमद और बशीर अहमद, से पूछताछ के बाद, एक स्थानीय गवाह की पहचान की गई है जिसने आतंकवादियों को भागते हुए देखा था।
एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया, "आतंकवादियों ने हवा में गोलियाँ चलाईं ताकि कोई मदद न कर सके। इसी दौरान गवाह की उनसे मुठभेड़ हुई।"
गवाह की गवाही और सबूत
अधिकारियों ने बताया कि एनआईए ने गोलीबारी स्थल से खाली कारतूस बरामद किए हैं, जो गवाह के बयान की पुष्टि करते हैं। गवाह ने कहा कि उसे कलमा पढ़ने के लिए कहा गया था, और संभवतः उसे इसलिए छोड़ दिया गया क्योंकि उसके उच्चारण से यह स्पष्ट हो गया कि वह स्थानीय था। कई जीवित बचे लोगों ने बताया कि आतंकवादियों ने बैसरन में 26 लोगों की हत्या करने से पहले धार्मिक पहचान के लिए कलमा पढ़ने का इस्तेमाल किया था।
आतंकवादियों की पहचान
अधिकारियों ने गवाह और आतंकवादियों को शरण देने वालों की गवाही की पुष्टि की है और आतंकवादियों की पहचान की है। इनमें से एक का नाम हाशिम मूसा है, जो पाकिस्तानी सेना का पूर्व जवान है। मूसा पर सोनमर्ग ज़ेड मोड़ सुरंग हमले का मास्टरमाइंड होने का संदेह है, जिसमें छह मज़दूरों और एक डॉक्टर की मौत हुई थी।
आतंकवादियों की रणनीति
एक ख़ुफ़िया एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि बाकी दो आतंकवादियों का कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं है और ऐसा लगता है कि उन्होंने हाल ही में पहलगाम हमले के लिए घुसपैठ की थी। एजेंसियों को परवेज़ अहमद और बशीर अहमद का भी कोई पूर्व रिकॉर्ड नहीं मिला है। एजेंसी को संदेह है कि यह स्थानीय कश्मीरी आतंकवादियों की न्यूनतम भागीदारी के साथ एक नया मॉड्यूल बनाने की आईएसआई की योजना थी।
शुरुआत में, यह संदेह था कि बैसरन घाटी हमले को तीन से पाँच आतंकवादियों ने अंजाम दिया था, लेकिन अब तक, एनआईए ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों की पहचान की है।
सूत्रों ने इस साजिश की तुलना 26/11 के मुंबई हमलों से करते हुए कहा कि यह आईएसआई-एलईटी का एक ऑपरेशन था जिसमें केवल पाकिस्तानी आतंकवादी शामिल थे। आईएसआई ने लश्कर कमांडर साजिद जट्ट को जम्मू-कश्मीर में पहले से सक्रिय विदेशी आतंकवादियों को तैनात करने का निर्देश दिया था, ताकि योजना को गुप्त रखने के लिए स्थानीय कश्मीरी आतंकवादियों का इस्तेमाल न किया जा सके।