पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा विधायक का निलंबन और मुख्यमंत्री का बयान

पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष को निलंबित किया गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस दौरान शिक्षकों की भर्ती पर भी महत्वपूर्ण बयान दिया। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी और मुख्यमंत्री के विचार।
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पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा विधायक का निलंबन और मुख्यमंत्री का बयान

पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामा

गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक नाटकीय स्थिति उत्पन्न हुई, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्य सचेतक शंकर घोष को निलंबित करने के बाद सदन से बाहर जाने से रोका गया। विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने बताया कि घोष को बंगाली प्रवासियों के खिलाफ "अत्याचार" पर चर्चा के दौरान हंगामा करने के कारण पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया।


घोष का निलंबन और भाजपा विधायकों का विरोध

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब प्रस्ताव पर बोलने वाली थीं, तभी भाजपा विधायकों ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके परिणामस्वरूप घोष को निलंबित किया गया। भाजपा के विधायकों ने यह जानने की कोशिश की कि विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को दो सितंबर को क्यों निलंबित किया गया। जब घोष ने सदन से बाहर जाने से इनकार किया, तो मार्शल ने उन्हें बाहर निकाल दिया। मुख्यमंत्री ने भाजपा विधायकों के ‘असंसदीय आचरण’ की आलोचना की और कहा कि वे एक गंभीर चर्चा को बाधित कर रहे थे। इस हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी।


मुख्यमंत्री का बयान

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार 2016 की एसएससी परीक्षा में ‘दागी’ शिक्षकों को ग्रुप सी और डी के पदों पर नियुक्त करने के लिए कानूनी विकल्पों की तलाश कर रही है। शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 2016 की स्कूल शिक्षक भर्ती परीक्षा के ‘बेदाग’ उम्मीदवारों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं ग्रुप सी और डी के पदों पर ‘दागी’ शिक्षकों की नियुक्ति के विकल्पों पर कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श कर रही हूं। जो लोग वर्षों से पढ़ा रहे हैं लेकिन ‘अयोग्य’ चिह्नित किए गए हैं, उनके लिए मैं कानूनी समाधान खोजने की कोशिश कर रही हूं... संभव है कि उन्हें ग्रुप सी और डी के पदों पर भर्ती किया जा सके।’’