पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव: कांग्रेस ने अकेले लड़ने का किया ऐलान, CPI-M से तोड़ा गठबंधन

पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने अकेले लड़ने का निर्णय लिया है, जिससे राजनीतिक समीकरण में बदलाव आ सकता है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने कहा कि पार्टी अब पहले से अधिक मजबूत है और लेफ्ट के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इस बार चार प्रमुख पार्टियाँ चुनावी मैदान में होंगी: कांग्रेस, लेफ्ट, भाजपा और तृणमूल कांग्रेस। जानें इस निर्णय के पीछे की वजहें और चुनावी रणनीतियाँ।
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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव: कांग्रेस ने अकेले लड़ने का किया ऐलान, CPI-M से तोड़ा गठबंधन

पश्चिम बंगाल में चुनावी हलचल

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव: कांग्रेस ने अकेले लड़ने का किया ऐलान, CPI-M से तोड़ा गठबंधन

मोहम्मद सलीम, ममता, शुभंकर और सुवेंदु अधिकारी.

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने रविवार को यह स्पष्ट किया कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है। उन्होंने कहा, “लोगों की इच्छा है कि हम स्वतंत्र रूप से चुनावी मैदान में उतरें। हमारी वर्तमान ताकत हमें यह करने की अनुमति देती है। हमने AICC को इस बारे में सूचित कर दिया है। जब एक पार्टी कमजोर होती है, तो वह सहयोग की तलाश करती है, लेकिन हम अब पहले से अधिक मजबूत हैं।”

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। पिछली बार तृणमूल ने अकेले चुनाव लड़ा था, जबकि कांग्रेस और लेफ्ट ने मिलकर चुनावी लड़ाई लड़ी थी। भाजपा भी इस चुनावी दौड़ में शामिल थी।

इस बार उम्मीद थी कि कांग्रेस और लेफ्ट एक साथ चुनाव लड़ेंगे, लेकिन प्रदेश कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि वे लेफ्ट के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। यदि कांग्रेस अकेले चुनाव में उतरती है, तो बंगाल में चारतरफा मुकाबला देखने को मिल सकता है, जिसमें कांग्रेस, लेफ्ट, भाजपा और तृणमूल शामिल होंगी।


क्या कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी?

शुभंकर सरकार ने कहा कि वर्तमान में राज्य और केंद्र सरकारें धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर बढ़ रही हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि लोगों की बुनियादी जरूरतें जैसे नौकरी, भोजन, आवास और कानून व्यवस्था अब प्राथमिकता नहीं रह गई हैं। इसलिए, सरकारें ध्यान भटकाने के लिए धार्मिक मुद्दों का सहारा ले रही हैं।

कांग्रेस ने 2021 में लेफ्ट के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, जिसमें ISF भी शामिल थी। इस बार ISF के विधायक नौसाद सिद्दीकी ने लेफ्ट फ्रंट के चेयरमैन बिमान बसु को एक पत्र लिखकर गठबंधन की इच्छा जताई है।


ISF और लेफ्ट के बीच संभावित गठबंधन

सूत्रों के अनुसार, शनिवार को अलीमुद्दीन स्ट्रीट पर ISF और लेफ्ट के बीच गठबंधन को लेकर बैठक हुई थी, जिसमें सीटों के बंटवारे पर चर्चा की गई। हालांकि, कांग्रेस इस बैठक में शामिल नहीं थी, जिससे बंगाल की राजनीति में हलचल मची हुई है।

आज शुभांकर सरकार ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि कांग्रेस अब अपने बलबूते पर चलने के लिए तैयार है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक समीकरण हमेशा बदलते रहते हैं, इसलिए भविष्य में स्थिति में बदलाव संभव है।

इनपुट- मीडिया चैनल