पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची में बड़े बदलाव, चुनाव आयोग ने दी जानकारी
पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग ने हाल ही में नई मसौदा मतदाता सूची जारी की है, जिसमें बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। इस सूची में कुल 7 करोड़ 8 लाख 16 हजार 631 मतदाता शामिल हैं, जो कि पहले की सूची से लगभग 58 लाख कम है। आयोग ने इस प्रक्रिया के पीछे के कारणों को स्पष्ट किया है, जिसमें मृत्यु, स्थायी पलायन और डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ शामिल हैं। आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत, आयोग ने प्रभावित मतदाताओं के लिए सुनवाई प्रक्रिया की घोषणा की है। जानें इस मुद्दे पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और आयोग की अपील।
| Dec 16, 2025, 21:58 IST
चुनाव आयोग की नई मतदाता सूची का प्रकाशन
पश्चिम बंगाल की राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हाल ही में एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा चल रही थी, जिस पर अब चुनाव आयोग ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मंगलवार को आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के बाद राज्य की मसौदा मतदाता सूची जारी की है, जिसमें बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं।
मतदाता संख्या में कमी
हालिया जानकारी के अनुसार, एसआईआर के बाद पश्चिम बंगाल की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में कुल 7 करोड़ 8 लाख 16 हजार 631 मतदाताओं के नाम शामिल हैं। यह संख्या एसआईआर से पहले के 7 करोड़ 66 लाख 37 हजार 529 मतदाताओं की तुलना में लगभग 58 लाख 20 हजार कम है। आयोग ने बताया कि हटाए गए नामों के पीछे मुख्य कारण मृत्यु, स्थायी पलायन, डुप्लीकेट प्रविष्टियां और गणना फॉर्म जमा न करना रहे हैं।
आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी
अगले साल की शुरुआत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। इस संदर्भ में, चुनाव आयोग ने पारदर्शिता के तहत ड्राफ्ट सूची के साथ-साथ बूथ-वार हटाए गए मतदाताओं की सूची और नाम हटाने के कारण भी सार्वजनिक किए हैं। यह जानकारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट, आयोग के वोटर पोर्टल और ईसीआईनेट ऐप पर उपलब्ध है।
सुनवाई प्रक्रिया का प्रारंभ
चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, जिन मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट सूची से हटाए गए हैं, उनके लिए सुनवाई की प्रक्रिया लगभग एक सप्ताह बाद शुरू होगी। इस देरी का कारण नोटिस की छपाई, उन्हें संबंधित मतदाताओं तक पहुंचाना और डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना बताया गया है।
हटाए गए नामों का विवरण
आयोग ने स्पष्ट किया है कि हटाए गए अधिकांश नाम उन मामलों से संबंधित हैं, जहां एसआईआर के दौरान गणना फॉर्म एकत्र नहीं हो पाए। इनमें ऐसे मतदाता शामिल हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, जो स्थायी रूप से अपने पते से स्थानांतरित हो गए हैं, या जिनके नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज पाए गए हैं।
आंकड़ों का खुलासा
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा पहले जारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 24 लाख मतदाता मृत पाए गए, लगभग 19 लाख 88 हजार स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके थे, और 12 लाख से अधिक लोग अपने पते पर अनुपलब्ध या लापता पाए गए। इसके अलावा, करीब 1.38 लाख डुप्लीकेट मतदाता और लगभग 1.83 लाख तथाकथित ‘घोस्ट वोटर’ भी सूची से हटा दिए गए हैं।
दावा और आपत्ति की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने यह भी बताया है कि ड्राफ्ट सूची से नाम हटाना अंतिम निर्णय नहीं है। प्रभावित मतदाता 16 दिसंबर 2025 से 15 जनवरी 2026 के बीच दावा और आपत्ति की अवधि में फॉर्म-6, घोषणा पत्र और आवश्यक दस्तावेज जमा कर सकते हैं। यदि उनकी पात्रता सिद्ध होती है, तो नाम अंतिम सूची में जोड़े जाएंगे।
मतदाताओं के लिए अपील
इस बीच, विशेष रोल पर्यवेक्षक सुब्रत गुप्ता ने मतदाताओं से घबराने की आवश्यकता नहीं होने की अपील की है। उन्होंने बताया कि लगभग 30 लाख ऐसे मतदाता हैं जिनका विवरण पुराने रिकॉर्ड से मेल नहीं खा सका है और उन्हें सुनवाई का पूरा अवसर दिया जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग और भाजपा पर मिलकर डर का माहौल बनाने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि बड़ी संख्या में सुनवाई की प्रक्रिया आम नागरिकों को भयभीत करने का प्रयास है। वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि अंतिम सूची आने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी।
आवश्यकता पर ध्यान
चुनाव आयोग ने सभी मतदाताओं से अपील की है कि वे ऑनलाइन पोर्टल या स्थानीय बूथ लेवल अधिकारियों के माध्यम से अपने नाम की जांच करें और जरूरत पड़ने पर निर्धारित प्रक्रिया के तहत दावा-आपत्ति दर्ज कराएं ताकि अंतिम मतदाता सूची निष्पक्ष और त्रुटिरहित बनाई जा सके।
