पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सियासी विवाद बढ़ा
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सियासी घमासान बढ़ता जा रहा है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भाजपा नेताओं को खुली चुनौती दी है, जिससे राजनीतिक माहौल और गरमाया है। भाजपा प्रवक्ता ने टीएमसी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। चुनाव आयोग का यह अभियान 2025 तक चलेगा, जबकि टीएमसी इसका विरोध कर रही है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
| Nov 4, 2025, 22:58 IST
मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सियासी घमासान
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। इस बीच, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद कल्याण बनर्जी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं सुवेंदु अधिकारी और सुकांत मजूमदार को खुली चुनौती दी है।
बनर्जी ने दोनों नेताओं को दानकुनी आने की हिम्मत करने के लिए कहा और यह भी जोड़ा कि यदि वे बिना सीआईएसएफ सुरक्षा के जनता के बीच उतरने का साहस दिखा पाते हैं, तो वह खुद वहां मौजूद रहेंगे। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “आइए, अपने समर्थकों के साथ आइए, हम भी बिना पुलिस के वहां रहेंगे, फिर देखेंगे कि अमित शाह उन्हें सुरक्षित वापस ले जा पाते हैं या नहीं।”
इस चुनौती के बाद बंगाल का राजनीतिक माहौल और भी गरमा गया है। बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता जनता से जुड़ने का दावा करते हैं, लेकिन असल में अपनी सुरक्षा पर अधिक निर्भर रहते हैं।
भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि “टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भाजपा नेताओं को जान से मारने की धमकी दी है। ममता बनर्जी की सरकार में लोकतंत्र सबसे बड़े खतरे में है।”
यह विवाद उस समय उठ खड़ा हुआ है जब चुनाव आयोग देश के 12 राज्यों, जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है, में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चला रहा है। जानकारी के अनुसार, ब्लॉक स्तर के अधिकारी मतदाता सूचियों को अपडेट करने और सत्यापित करने के लिए घर-घर जाकर जानकारी एकत्र कर रहे हैं। यह प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक चलेगी, और अंतिम मतदाता सूची फरवरी 2026 में जारी की जाएगी।
टीएमसी इस अभियान का विरोध कर रही है। पार्टी का आरोप है कि भाजपा मतदाता सूचियों में हेराफेरी कर चुनावी माहौल को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 4 नवंबर को कोलकाता में विरोध मार्च में शामिल होंगी, जिसमें पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी भी उपस्थित रहेंगे। टीएमसी का कहना है कि यह अभ्यास लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास है, जिसे जनता के सवालों का सामना करके जवाब दिया जाना चाहिए।
इस घटनाक्रम ने बंगाल की राजनीति को एक बार फिर उबाल पर ला खड़ा किया है और आने वाले दिनों में सियासी गर्मी और बढ़ने की संभावना है।
