पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर ममता बनर्जी का विरोध

पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के निर्णय ने राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए एक विशाल मार्च का आयोजन करने की घोषणा की है। एसआईआर प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू होकर 4 दिसंबर तक चलेगी, जिसमें मतदाता सूची का प्रारूप 9 दिसंबर को जारी किया जाएगा। इस बीच, बीएलओ के लिए सुरक्षा की मांग और प्रशिक्षण सत्रों में व्यवधान की घटनाएं भी सामने आई हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है।
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पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर ममता बनर्जी का विरोध

राजनीतिक तनाव का माहौल

पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के निर्णय ने राजनीतिक हलचल को जन्म दिया है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस प्रक्रिया का विरोध किया है। ममता बनर्जी ने मंगलवार (4 नवंबर) को कोलकाता में एक बड़े विरोध मार्च का आयोजन करने की योजना बनाई है, जिसमें वह अपनी आपत्ति दर्ज कराएंगी।


एसआईआर की समय-सीमा

हाल ही में चुनाव आयोग ने बताया कि विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया का दूसरा चरण उन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा, जहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं। यह प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलेगी। मतदाता सूची का प्रारूप 9 दिसंबर को जारी किया जाएगा, जबकि अंतिम सूची 7 फरवरी को प्रकाशित होगी।


सीईओ की समीक्षा बैठक

मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की शुरुआत से एक दिन पहले, पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल ने सभी जिलाधिकारियों के साथ एक बैठक की। इस बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, जब वे घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे।


बीएलओ के लिए सुरक्षा की आवश्यकता

बीएलओ और अन्य अधिकारियों को बिना किसी डर के घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। सीईओ ने सभी जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक में आवश्यक निर्देश दिए। एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्य 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक किया जाएगा, और 2002 में किए गए एसआईआर के आधार पर लोगों के विवरण का सत्यापन किया जाएगा। मतदाता इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म भी भर सकते हैं।


प्रशिक्षण के दौरान विरोध

शनिवार को कोलकाता और अन्य जिलों में बीएलओ प्रशिक्षण सत्रों में व्यवधान की घटनाएं सामने आईं। सरकारी कर्मचारियों ने आधिकारिक ड्यूटी की स्थिति, काम के घंटे और सुरक्षा कवर को लेकर आपत्ति जताई। कई शिक्षकों ने आरोप लगाया कि उन्हें प्रशिक्षण के दौरान "अनुपस्थित" चिह्नित किया गया। उन्होंने मांग की कि उन्हें "ड्यूटी पर" चिह्नित किया जाए। शिक्षकों ने केंद्रीय सुरक्षा कवर की भी मांग की और चेतावनी दी कि वे बिना सुरक्षा के काम नहीं करेंगे। हालांकि, चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती क्योंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है।