पत्थर चट्टा: पथरी के लिए आयुर्वेदिक उपचार

पत्थर चट्टा का परिचय
आजकल पथरी एक सामान्य समस्या बन गई है, जिसका इलाज हमारे घरों में ही मौजूद है। यह पौधा, जिसे पथर चट्टा या पाखाण भेद भी कहा जाता है, पथरी को तोड़ने में मदद करता है। आयुर्वेद में इसे भष्मपथरी, पाषाणभेद और पणपुट्टी के नाम से जाना जाता है। इसे मेडिकल विज्ञान में bryophyllum pinnatum कहा जाता है।
पत्थर चट्टा का पौधा
पत्थर चट्टा का स्वाद खट्टा और नमकीन होता है, जो खाने में भी स्वादिष्ट लगता है।
पत्थर चट्टा उगाने की विधि
इस पौधे के पत्तों को किसी भी प्रकार की मिट्टी में डालने पर यह उग जाता है। इसकी तासीर सामान्य होती है, इसलिए इसे हर मौसम में खाया जा सकता है।
उपयोग की विधि
पत्थर चट्टा के दो पत्तों को तोड़कर अच्छे से धो लें और सुबह-शाम खाली पेट गर्म पानी के साथ 20 से 25 दिन तक सेवन करें। इससे पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। यदि यह पौधा उपलब्ध नहीं है, तो आप होमियोपैथी उपचार भी कर सकते हैं।
होमियोपैथी उपचार
होमियोपैथी में एक दवा है जिसका नाम BERBERIS VULGARIS है। इसे किसी भी होमियोपैथी की दुकान से प्राप्त किया जा सकता है।
दवा का उपयोग
इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई कप पानी में मिलाकर दिन में चार बार लेना चाहिए। यह दवा गॉल ब्लेडर या किडनी में मौजूद पथरी को पिघलाकर बाहर निकालने में मदद करती है।
भविष्य में पथरी से बचाव
पथरी के दोबारा बनने से रोकने के लिए होमियोपैथी में CHINA 1000 का उपयोग करें। इसे एक दिन में तीन बार जीभ पर डालें।
सावधानियां
- इस औषधि का सेवन करते समय चूना, बिना धोए फल और अधिक चावल का सेवन न करें।
- पथरी का मुख्य कारण कैल्शियम होता है।
- यह औषधि पथरी से परेशान लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है।