पति ने पत्नी के शव को कंधे पर लेकर चलने की दिल दहला देने वाली कहानी

यह कहानी एक पति के अपने मृत पत्नी के प्रति अटूट प्रेम और संघर्ष को दर्शाती है। ओडिशा में दाना मांझी की घटना से लेकर 2023 में सामुलु पांगी की दिल दहला देने वाली स्थिति तक, ये घटनाएँ भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाती हैं। जानें कैसे पुलिस ने इन दुखद पलों में मदद की और समाज में व्याप्त समस्याओं को उजागर किया।
 | 
पति ने पत्नी के शव को कंधे पर लेकर चलने की दिल दहला देने वाली कहानी

एक पति का अटूट प्रेम और संघर्ष


यह एक ऐसी कहानी है जो गरीबी और एक पति के अपने मृत पत्नी के प्रति गहरे प्रेम को दर्शाती है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। एक दृश्य में, एक व्यक्ति अपनी पत्नी के शव को कंधे पर लादकर मीलों पैदल चलता रहा, क्योंकि उसे अस्पताल से एम्बुलेंस नहीं मिली। जब पुलिस ने उसे देखा, तो जो दृश्य सामने आया, वह दिल दहला देने वाला था।


ओडिशा में दाना मांझी की घटना

दर्दनाक सच्चाई: यह घटना 2016 में ओडिशा के कालाहांडी जिले के भवानीपटना में हुई थी। दाना मांझी नामक एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी पत्नी अमांग देई का शव अपने गाँव तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिली। अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलेंस की व्यवस्था न होने पर, दाना मांझी ने अपनी 12 वर्षीय बेटी के साथ मिलकर पत्नी के शव को कंधे पर लादकर लगभग 10 किलोमीटर पैदल चलने का निर्णय लिया। यह घटना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आई और भारत में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए।


कोरापुट जिले की एक और घटना

पति ने पत्नी के शव को कंधे पर लेकर चलने की दिल दहला देने वाली कहानी


एक और बेबसी की तस्वीर: ओडिशा के कोरापुट जिले में 2023 में एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। 35 वर्षीय सामुलु पांगी अपनी पत्नी इडे गुरु (30) के साथ पड़ोसी आंध्र प्रदेश के अस्पताल से लौट रहे थे, जहाँ उनकी पत्नी का इलाज चल रहा था। ऑटो-रिक्शा से लौटते समय, उनकी पत्नी की रास्ते में ही मृत्यु हो गई। ऑटो चालक ने शव को आगे ले जाने से मना कर दिया और उन्हें चेलूरू रिंग रोड पर छोड़ दिया।


सामुलु पांगी के पास दूसरा वाहन किराए पर लेने के पैसे नहीं थे। उनका गाँव लगभग 80 किलोमीटर दूर था। ऐसे में, उन्होंने पत्नी के शव को कंधे पर लादकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पैदल चलने का निर्णय लिया। उनका दिल टूटने वाला था, लेकिन उनकी आँखों में पत्नी को अंतिम घर तक पहुँचाने का दृढ़ संकल्प था।


पुलिस की मानवीयता

पुलिस बनी फरिश्ता: कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद, कुछ स्थानीय लोगों ने सामुलु पांगी को देखा और तुरंत पुलिस को सूचित किया। आंध्र प्रदेश की पुलिस टीम मौके पर पहुँची। शुरुआत में भाषा की बाधा के कारण पांगी की बात समझने में कठिनाई हुई, लेकिन एक स्थानीय व्यक्ति की मदद से पुलिस अधिकारियों को पूरी स्थिति का पता चला।


पुलिस अधिकारियों ने मानवीयता का परिचय देते हुए सामुलु पांगी की मदद करने का निर्णय लिया। उन्होंने आपस में पैसे इकट्ठा किए और एक एम्बुलेंस का इंतजाम किया, ताकि पांगी अपनी पत्नी के शव को सम्मान के साथ अपने गाँव सोराडा ले जा सकें। पुलिस की इस तत्परता ने सामुलु पांगी को राहत दी, और स्थानीय लोगों ने भी पुलिस की इस नेक पहल की सराहना की।


समाज में व्याप्त समस्याएँ

सामाजिक चिंताएं और सवाल: ये घटनाएं भारतीय समाज की उन गहरी समस्याओं को उजागर करती हैं जहाँ ग्रामीण और गरीब तबके के लोगों को आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अस्पताल से एम्बुलेंस न मिलना और वित्तीय असमर्थता जैसी समस्याएँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए अभी भी कितना काम किया जाना बाकी है। हालांकि, पुलिस और कुछ नेक लोगों की तत्परता ऐसे दुखद पलों में इंसानियत की रोशनी भी दिखाती है।