पटियाला हाउस अदालत के न्यायाधीश ने फर्जी अदालती आदेशों की शिकायत दर्ज कराई

फर्जी अदालती आदेशों का मामला
राष्ट्रीय राजधानी की पटियाला हाउस अदालत के एक जिला न्यायाधीश ने पुलिस में शिकायत की है कि उनके हस्ताक्षर वाले कुछ नकली अदालती आदेश सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे हैं। इन आदेशों में गिरफ्तारी वारंट और संपत्ति की जब्ती से संबंधित निर्देश शामिल हैं।
जिला न्यायाधीश की शिकायत के आधार पर 23 अप्रैल को नई दिल्ली साइबर पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई। न्यायाधीश ने अपनी शिकायत में बताया कि सोशल मीडिया के जरिए कई बार ऐसे जाली दस्तावेज भेजे गए हैं, जिन पर उनका नाम अंकित है और उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के रूप में दर्शाया गया है।
प्राथमिकी के अनुसार, पहला मामला 31 मई 2024 को सामने आया, जब 'सरकार बनाम सुश्री अंकिता' के नाम से न्यायाधीश के जाली हस्ताक्षर वाला 'गिरफ्तारी वारंट' प्रसारित किया गया।
दूसरा मामला 2 दिसंबर 2024 का है, जब 'सरकार बनाम संकेत सुरेश साटम' के नाम से न्यायाधीश के जाली हस्ताक्षर वाला संपत्ति की जब्ती से जुड़ा आदेश सोशल मीडिया पर देखा गया।
प्राथमिकी में यह भी उल्लेख किया गया है कि दोनों आदेशों में न्यायाधीश को दिल्ली जिला अदालत में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में गलत तरीके से दर्शाया गया था। न्यायाधीश ने कभी ऐसे आदेश जारी नहीं किए और दस्तावेजों पर मौजूद हस्ताक्षर नकली हैं। शिकायत न्यायाधीश के वरिष्ठ न्यायिक सहायक (एसजेए) के माध्यम से दायर की गई थी।
शिकायत में कहा गया है कि न्यायाधीश को उनके व्हाट्सऐप नंबर पर भी इसी तरह के संदेश प्राप्त हुए हैं और संबंधित उच्च अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया गया है। यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि उपर्युक्त दस्तावेज/आदेश, जैसे गिरफ्तारी वारंट और संपत्ति जब्ती आदेश, सभी जाली हैं। न्यायाधीश ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है।
प्राथमिकी के अनुसार, 'जांच और शिकायत की विषय-वस्तु के आधार पर नई दिल्ली जिले के साइबर पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 204 (लोक सेवक होने का झूठा दावा करना), 336 (जालसाजी) और 337 (अदालत के रिकॉर्ड, सार्वजनिक रजिस्टर या अन्य समान दस्तावेज में धोखाधड़ी का अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है।