पटना हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: 600 रुपये की रिश्वत के लिए इनकम टैक्स कर्मचारी को मिली सजा
महंगी पड़ी 600 रुपये की रिश्वत!
600 रुपये की घूस पड़ी भारी!
सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है, लेकिन जब न्याय का पहिया चलता है, तो किसी भी रसूखदार का बचना मुश्किल हो जाता है। हाल ही में पटना हाई कोर्ट ने एक ऐसा निर्णय सुनाया है जो उन सरकारी कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी है, जो आम जनता से 'चाय-पानी' के नाम पर रिश्वत मांगते हैं। इस मामले में एक इनकम टैक्स कर्मचारी को 600 रुपये की रिश्वत के लिए जेल की सजा सुनाई गई है।
न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडेय की अदालत ने 22 दिसंबर, 2025 को स्पष्ट किया कि यदि सीबीआई के स्टिंग ऑपरेशन और गवाहों के बयानों से रिश्वत का आरोप सिद्ध होता है, तो दोषी को कोई छूट नहीं मिलेगी।
5 हजार के रिफंड के लिए 600 की डिमांड
यह मामला 14 साल पुराना है। इसकी शुरुआत 16 मार्च 2011 को हुई, जब सहारा इंडिया में कार्यरत एक नागरिक, मिस्टर कुमार ने सीबीआई (पटना) में शिकायत दर्ज कराई। उस वर्ष उनकी कुल आय 50,905 रुपये थी, जिसमें से 5,826 रुपये टैक्स के रूप में काट लिए गए थे। रिफंड के लिए उन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न भरा।
जब वे सासाराम स्थित इनकम टैक्स ऑफिस पहुंचे, तो वहां एक टैक्स असिस्टेंट ने फाइल आगे बढ़ाने के लिए 600 रुपये की रिश्वत मांगी। मिस्टर कुमार ने सिस्टम के खिलाफ लड़ने का निर्णय लिया और सीबीआई में लिखित शिकायत दर्ज कराई।
नोटों पर लगा पाउडर बना जाल
सीबीआई ने शिकायत की पुष्टि होने पर एक जाल बिछाया। उन्होंने नोटों पर 'फिनोफ्थेलिन' नामक विशेष केमिकल पाउडर लगाया। 17 मार्च 2011 को जब टैक्स कर्मचारी ने रिश्वत के नोट अपने हाथ में लिए, तो वह केमिकल उसके हाथों पर लग गया।
सीबीआई की टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। घबराकर कर्मचारी ने पैसे जमीन पर फेंक दिए और अनजान बनने का प्रयास किया। लेकिन जब सीबीआई ने उसके हाथों को सोडियम कार्बोनेट के घोल में धुलवाया, तो पानी का रंग गुलाबी हो गया, जो कि इस बात का पुख्ता सबूत था कि उसने रिश्वत के नोटों को छुआ था।
‘मेरा काम नहीं था’ – कोर्ट में नहीं चली ये दलील
निचली अदालत से सजा मिलने के बाद, आरोपी कर्मचारी ने पटना हाई कोर्ट में अपील की। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि जिस वार्ड का यह मामला था, वहां उसकी ड्यूटी नहीं थी, इसलिए उसका इस केस से कोई संबंध नहीं है।
हालांकि, हाई कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने पाया कि इनकम टैक्स ऑफिसर ने स्पष्ट रूप से बताया था कि आरोपी के पास वार्ड 1 और 2 के बिल और डिस्पैच का जिम्मा था।
कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
पटना हाई कोर्ट ने 'प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट' की धारा 20 का हवाला देते हुए कहा कि जब यह साबित हो जाता है कि आरोपी के पास से पैसे बरामद हुए हैं, तो यह साबित करने की जिम्मेदारी आरोपी की होती है कि वह पैसा रिश्वत नहीं था। इस मामले में आरोपी कोई ठोस सबूत पेश करने में असफल रहा।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के यह साबित कर दिया है कि एक लोक सेवक ने अपने पद का दुरुपयोग किया। अंततः कोर्ट ने आरोपी की अपील खारिज कर दी और उसे तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया, ताकि वह अपनी एक साल की बची हुई जेल की सजा पूरी कर सके।
