पटना में फर्जी निवास प्रमाणपत्र मामले में कार्रवाई: निलंबन और FIR

पटना प्रशासन की सख्त कार्रवाई
पटना जिला प्रशासन ने 'डॉग बाबू' के नाम पर जारी किए गए फर्जी निवास प्रमाणपत्र के मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई की है। सोमवार को, मसौढ़ी के राजस्व अधिकारी के निलंबन की सिफारिश की गई, जबकि एक आईटी सहायक को सेवा से मुक्त कर दिया गया।
जांच के दौरान दोनों को फर्जी निवास प्रमाणपत्रों पर गलत डिजिटल हस्ताक्षर करने का दोषी पाया गया। पटना के जिला मजिस्ट्रेट थियागराजन एसएम ने राजस्व और भूमि सुधार विभाग को मसौढ़ी के राजस्व अधिकारी मुरारी चौहान के निलंबन की सिफारिश की।
जब 'डॉग बाबू' के नाम पर फर्जी निवास प्रमाणपत्र जारी करने की खबर मीडिया में आई, तो सरकार ने पटना DM से मामले की जांच करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया।
DM द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि एक महिला ने दिल्ली से संबंधित आधार के साथ निवास प्रमाणपत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि आवेदक ने किसी और की पहचान (आधार और मतदाता पहचान पत्र) का अवैध रूप से दुरुपयोग किया। मसौढ़ी पुलिस थाने में राजस्व अधिकारी, आईटी प्रबंधक और अज्ञात आवेदक के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत FIR (608/25) दर्ज की गई है।
पुलिस ने उस आवेदक के खिलाफ जांच शुरू कर दी है जिसने आत्म-घोषणा की और नियमों के खिलाफ फर्जी निवास प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए किसी और की पहचान का दुरुपयोग किया। ऐसे अवैध तरीकों का सहारा लेने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। विवाद में फंसा यह निवास प्रमाणपत्र रद्द कर दिया गया है।
बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों को NIC के सर्विस प्लस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध 'सत्यापन प्रक्रिया' को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। सोसाइटी जल्द ही सिस्टम को और मजबूत करने के लिए AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग करेगी ताकि सॉफ़्टवेयर में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न हो सके।