पटना उच्च न्यायालय के वकीलों का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश का बहिष्कार

वकीलों का विरोध प्रदर्शन
पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं ने दो वकीलों पर हुए कथित हमले के मामले में उचित कार्रवाई न होने के विरोध में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश पी. बी. बजंथरी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
यह निर्णय उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ और अन्य वकील संगठनों की समन्वय समिति द्वारा मंगलवार को लिया गया। समिति के अनुसार, यह कदम तब उठाया गया जब अधिवक्ता अंशुल आर्यन और उनकी पत्नी मनोग्या सिंह के साथ एक निजी स्कूल के कर्मचारियों ने अदालत जाते समय कथित तौर पर मारपीट की।
समिति का कहना है कि मनोग्या के साथ गाली-गलौज और अशोभनीय व्यवहार किया गया, जबकि अंशुल को चोटें आई हैं। इस घटना को ‘क्रिमिनल मोशन’ संबंधी पीठ के समक्ष लाया गया था, जिसने 9 सितंबर को रुपसपुर थाना प्रभारी की व्यक्तिगत उपस्थिति का आदेश दिया था। बाद में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की अनुमति से रजिस्ट्री को स्वतः संज्ञान लेकर आपराधिक रिट याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया गया।
समिति ने यह भी बताया कि 10 सितंबर को कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बजंथरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिन्हा की पीठ ने सुनवाई के दौरान आदेश पर सवाल उठाते हुए थाना प्रभारी की व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश हटा दिया, जिससे अधिवक्ताओं में नाराजगी फैल गई।
बार प्रतिनिधियों का कहना है कि एक समन्वित पीठ दूसरी पीठ के आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। उनका आरोप है कि अदालत वास्तविक मुद्दे से ध्यान भटका रही है और मामले को कमजोर करने का प्रयास कर रही है।
समन्वय समिति के अनुसार, 17 सितंबर की सुनवाई में अदालत ने दो रिट याचिकाओं पर अगली तारीख तय की। इसके बाद समिति के नेताओं ने घोषणा की कि वे 18 सितंबर से कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की अदालत का बहिष्कार करेंगे।
समिति द्वारा जारी बयान में कहा गया, “अधिवक्ताओं पर हमले के असली मुद्दे पर अदालत संवेदनशील नहीं दिखी और मामले को लंबा खींचने का प्रयास किया जा रहा है।”